पृष्ठ:कंकाल.pdf/२०१

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गशरण नौ टैंकरों सज-मर में रक्षुस्यमय कुसुइल और सनसनी फा मेन्द्र बन रही थीं। निरजन में सहयोग से उसगें नजगम का संचार होने लगा।' कुछ ही दिनों से सरला और लतिका भी उच्च विश्राम-भवन में आ गयी थी । लतिका बड़े चाव से वहाँ उपदेश सुनतीं । सरला तो एक प्रधान महिला कार्य की थी। उसने हृदम में नई इति थी और शरीर में नये सायं का संचार अ । संघ में बड़ी सजीवता आ च । इधर यमुना के अभियोग में भी संघ प्रधान भाग ले रहा था, इसलिए बड़ी चहल-पहल रहतीं । एक दिन नृन्दावन की गलियों में सब बगह बड़े-बड़े विज्ञापम चिपक रहे थे। उन्हें लोग य और आश्चर्य से पढ़ने लगे भारत-सघ हिन्दू-म्रर्भ या सर्वसाधारण के लिए खुला हुआ हार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्यों से { को किसी विशेष कूल में अन्म लेने वै वारण संसार में सबसे अलग रहूर; निस्सार महत्ता में फंसे है । भिन्न एकः मधीन हिंदू जाति का मुगट्न कराने वाला गुरू वेन्द्र | जिसका आदर्श प्राचीन है-- राम, कृष्ण, बुद्ध की आर्य संस्कृति का प्रचारक । भारत-संघ सन्नको आमन्त्रित याता है ! दूसरे दिन नया सिंज्ञापन लाँ १८३ : अराप३ माईमा