पृष्ठ:कंकाल.pdf/२०२

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भारत-संघ वर्तमान कट के दिनों में | श्रेणीवाद धामिन पवित्रताबाद, अभिजात्यवाद, इत्यादि अनेक रूपो में फैले हुए राय देशों के भिन्न प्रकारों में जातिवाद अत्यन्त उपेक्षा करता है। श्रीराम ने शबरी का वातिथ्य स्वीकार किया था श्रीकृष्ण ने दाचो-गुत्र विदुर वन आतिथ्य ग्रहण किया था, बुद्धदेव नै बेपया के निमंत्रण को रटा फी पौ; इन घटनालो को स्मरण करता है मारत-संघ मान्यता के नाम पर | सबको गन्ने नगा ! राम, कृष्ण और बुद्ध महापुरुष थे इन लोगों ने साहस का पुरस्कार पाया था• 'कष्ट, तत्र उपेपर और तिरस्कार ! | भारत-संध भी आप लोगों की ठोकरों को अल शिर से तगावेगा। वृन्दाबन उत्तेजना यी उँगलियों पर नाचने लगा। विरोध में और पक्ष मेंदेवमन्दिरों, कंज, गलियों जौर घाटों पर पाते हुने सगी । तीसरे दिन फिर विज्ञापन सगा मनुष्य अपनी सुविधा के लिए अपने और ईश्वर के सम्बन्ध को धर्म, अपने और अन्य भनुम्यो वै राम्वन्ध को नीति, और रो-बेटी के राभ्यन्ध को समाज मैहने लगता है, नॉम--कर कंकास : १६३