पृष्ठ:कंकाल.pdf/२०८

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होकही में याता-जाड़ा में ही 1 एर घिरा और स्पन्दन-हीन थियणा गाता को घेरकर मुर करा छ । यह सोच रही गौ---ौराब में पति इस उंगली भुखंड गो छोड़ने पर बात ! गाना के गाम अन्तर ने परदा ग्वीच दिया । ती पह पर बैठ पड़ी हुई। इतने में पायल और गन्द्र गिर पर थरे गये वही आ पहुँचा । गाला में गाहा–अम आ गया ! हाँ चन, बहुत दूर चलना हैं । दूर पसे, भालू भी पाछे-पीछे थी । कंकात : १८६