पृष्ठ:कंकाल.pdf/२२३

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सम्मान पर कुछ कहेगे । मगनदेव ने कहुना आरम्भ किया । | रागर में जितनी हाल है, आन्दोलन हैं, वे सब मानवता की पुकार है। जननी अपने क्षगडालू कुम्त्र में मेल कराने के लिए बुला रही है। उसके लिए में प्रस्तुत होना है। हम अलग नं वडे र ! मह समारोह उसी फा समारम्म है। इसलिए, हमारे आन्दोलन व्यवच्दक न हो । | एक बार फिर स्मरण करना चाहिए कि लोग एक हैं, ठीक उसी प्रकार वैसे श्रोतृाण ने कहा--विमरत व भूतेषु विभक्तमिव प स्थित'---यह विभक्त होना वर्म के लिए है, चब-प्रपत्तन को नियमित रखने के लिए है । समाज-सेवा-यश को प्रगतिशील करने के लिए हैं । जीवन व्यर्य न करने के लिए, पाप की आगु, स्वार्थ का यश न उठाने के लिए हमें समाज के रचनात्मक कार्य में, भीतरी सुधार लाना नाहिए । ग ठीक है कि सुधार का काम प्रतिकूल स्थिर में प्रारम्भ होता है । मुधार सौन्दर्य का साधन है । सभ्यता सौन्दर्य की निशसि ६ । शारीरिक और लालमरिक सौन्दर्य प्राथमिक हैं, नरम सौन्दर्य मानसिक मुषार का है। मानसिक मुंघारो गै सामूहिक 'मीय कार्य कर हैं । इराक्षे लिए अम-विभाग हैं। हम अपने कर्तव्य को देते हुए समाज की उन्नति कार; परन्तु संघर्ष को दाते इए । हुम उन्नति नर-करते भौतिवः श्विर्य वैः द्वौले न बन जाएँ । हाँ, इमारी उन्नति-फल-फूल बाल हृक्षो की-सी हो, जिनमें छाया मिले, विश्राम मिले, शान्ति जिन । मैंने पहुल कहा है कि रामाज-शुष्ठार मी हो और संघर्ग से बचना भी चाहिए। बहुत से लोगों का यह विचार है नि, सुधार और चन्नति में संघर्ष अनिवार्य है। परन्त संघर्ष से घी का एक उपाय है, वह है--आत्म-निरीक्षण । समय के फागों के अतिवाद से बचाने के लिए मह उपयोगी हौं सजा हैं। अह समाज का शासन कठोरता मै गलता है, यहां देप और द्वन्द्म भी नलता है। शासन को गोगिता हुम मुल जाते है, फिर शासन केवल शसिन के लिए चलती हुता ३ । कना नही होगा कि वर्तमान हिन्दजाति और नयी उपजाति इसके उदाहरण है । मानिक चीर दण्डों से यह छिप-भिन्न हो रही हैं, जर्जर हो रही हैं। रामाज के प्रमुख लग घों इस भूख को मुधारना पड़ेगा। दशवस्याप तत्रों की जननी, पान पंचामते, नवीन रामपाएँ सहानुभूति के बदले ६५ गैला रही हैं। उनसे कठोर दण्द्र से प्रतिहिंसा का गाव जगता । हुम नो भूल जाते हैं कि मानव-स्वभाड दुर्दशाभों से स्वाति है। |. • इर्वतता झ-से आती है ? लोकापराद त भयभीत कर रसभाव न २०६अद-भाड्मय - ----