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कर्बला

हुर-या हज़रत, आपके कदमों पर निसार हो गया। ज़िन्दगी ठिकाने लगी।

तकिया तेरे जानू का मयस्सर हुआ आक़ा,
जर्रा था यह अब महरे-मुनौवर हुआ आका।

हुसैन---हाय! मेरा जाँबाज़ रफ़ीक़ दुनिया से रुख़सत हो गया। यह वह दिलावर था, जिसने हक़ पर अपने रुतबा और दौलत को निसार कर दिया, जिसने दीन के लिए दुनिया को लात मार दी। ये हक़ पर जान देनेवाले हैं, जिन्होंने इस्लाम के नाम को रोशन किया है, और हमेशा रोशन रक्खेंगे। जा मुहम्मद के प्यारे, जन्नत तेरे लिए हाथ फैलाये हुए है। जा, और हयात अब्दी के लुत्फ़ उठा। मेरे नाना से कह दीजियो कि हुसैन भी जल्द ही तुम्हारी ख़िदमत में हाज़िर होनेवाला है, और तुम्हारे सारे कुनबे को साथ लिये हुए। क़ाबिल ताज़ीम हैं वे माताएँ, जो ऐसे बेटे पैदा करती हैं!


दूसरा दृश्य

[ समर---भूमि। साद की तरफ़ से दो पहलवान आते हैं---यसार और सालिम। ]

यसार---( ललकारकर ) कौन निकलता है, हुर का साथ देने के लिए? चला आये, जिसे मौत का मज़ा चखना हो। हम वह हैं, जिनकी तलवार से क़ज़ा को रूह भी क़ज़ा होती है।

[ अब्दुल्लाह कलवी हुसैन के लश्कर से निकलते हैं। ]

यसार---तू कौन है?

अब्दुल्लाह---मैं अब्दुल्लाह बिन कमीर कलवी हूँ, जिसकी तलवार हमेशा बेदीनों के खून की प्यासी रहती है।

यसार---तेरे मुकाबले में तलवार उठाते हमें शर्म आती है। जाकर हबीब या ज़हीर को भेज।