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कर्बला

वहब---अम्माजान, मुझसे राज़ी हुई?

क़मर---बेटा, तुझ पर हज़ार जान से निसार हूँ। तुमने बाप का नाम रोशन कर दिया, लेकिन मैं चाहती हूँ कि जब तक तेरे हाथों में ताक़त है, तब तक दुश्मनों को आराम न लेने दे।

वहब---( स्वगत ) आह! हक़ पर जान देना भी उतना आसान नहीं है, जितना लोग ख़याल करते हैं। ( प्रकट ) अम्मा, यही मेरा भी इरादा है, लेकिन नसीमा के आँसुओं की याद मुझे खींच लायी।

[ कमर चली जाती है। ]

नसीमा, तुम्हें आखिरी बार देखने की तमन्ना मैदान से खींच लायी। सनम का पुजारी सनम ही पर क़ुर्बान हो सकता है, दीन और ईमान, हक़ और इन्साफ़, ये सब उसकी नज़रों में खिलौने की तरह लगते हैं। मुहब्बत दुनिया की सबसे मज़बूत बेड़ी है, सबसे सख़्त ज़ंजीर। ( चौंककर ) कोई पहलवान मैदान में आकर ललकार रहा है। हाय! लानत हो उन पर, जो हक़ को पामाल करके हज़ारों को नामुराद मरने पर मजबूर करते हैं। नसीमा, हमेशा के लिए रुख़सत! मेरी तरफ़ एक बार मुहब्बत की निगाहों से देख लो, उनमें मुहब्बत का ऐसा जाम हो कि उसका नशा मेरे सिर से क़यामत तक न उतरे।

नसीमा---मेरी जान, आह! दिल निकला जाता है....।

[ वहब मैदान की तरफ चला जाता है। ]

खुदा! काश मुझे मौत आ जाती कि यह दिलख़राश नज़्ज़ारा आँखों से न देखना पड़ता। मेरा जवान दिलेर जाँबाज़ शौहर मौत के मुँह में चला जा रहा है, और मैं बैठी देख रही हूँ। ज़मीन, तू क्यों नहीं फट जाती कि मैं उसमें समा जाऊँ! बिजली, आसमान से गिरकर क्यों मेरा खातमा नहीं कर देती! वह देव उन पर तलवार लिये झपटा, या खुदा, मुझ नामुराद पर रहम कर। दूर हो ज़ालिम, सीधा जहन्नुम को चला जा। अब कोई आगे नहीं आता। वह मलऊन शिमर अपनी जमैयत लिये उनकी तरफ़ दौड़ा अाता है। हाय! ज़ालिमों ने घेर लिया। ख़ुदा, तू यह बेइन्साफ़ी देख रहा है, और इन मूज़ियों पर अपना क़हर नहीं नाज़िल करता। एक के लिए एक