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कर्बला

लोग बहुत दिनों तक रोयेंगे । यजीद ने खिलाफ़त अपने हाथ में ले ली, यह बहुत ही मुनासिब हुआ। मेरे खयाल में हुसैन को इसी वक्त बुलाना चाहिए ।

वलीद-तुम्हारे खयाल में वह बैयत ले लेंगे ?

मर०-गैरमुमकिन । उनसे बैयत लेना उन्हें कत्ल करने को कहना है। मगर अभी मुनाबिया के मरने की खबर मशहूर न होनी चाहिए।

वलीद-इस मामले पर गौर करो।

मर०-गौर की ज़रूरत नहीं, मैं आपकी जगह होता, तो बैयत का जिक्र ही न करता । फ़ौरन क़त्ल कर डालता । हुसैन के जिन्दा रहते हुए यज़ीद को कभी इतमीनान नहीं हो सकता । याद रखिए कि मुआबिया के मरने की खबर फैल गयी, तो न हमारी जान सलामत रहेगी न आपकी । हुसैन से आपका कितना ही दोस्ताना हो, लेकिन वही हुसैन आपका जानी दुश्मन हो जायगा।

वलीद-तुम्हें उम्मीद है कि वह इस वक्त यहाँ आयेंगे ? उन्हें शुबहा हो जायगा।

मर०-आपके ऊपर हुसैन का इतना भरोसा है, तो इस वक्त भी चले आयंगे । मगर आपकी तलवार तेज़ और खून गर्म रहना चाहिए। यही कारगुज़ारी का मौका है । अगर हम लोगों ने इस मौके पर यज़ीद की मदद की, तो कोई शक नहीं कि हमारे इकबाल का सितारा रोशन हो जायगा।

वलीद-मरवान, मैं यज़ीद का गुलाम नहीं, खलीफ़ा का नौकर हूँ, और खलीफ़ा वही है, जिसे कौम चुनकर मसनद पर बिठा दे । मैं अपने दीन और ईमान का खून करने से यह कहीं बेहतर समझता हूँ कि कुरान पाक की नकल करके ज़िन्दगी बसर करूँ ।

मर०-या अमीर, मैं आपको यज़ीद के गुस्से से होशियार किये देता हूँ। मेरी और आपकी भलाई इसी में है कि यज़ीद का हुक्म बजा लायें । हमारा काम उनकी बन्दगी करना है, आप दुबिधा में न पड़ें। इसी वक्त हुसैन को बुला भेजें।

[गुलाम को पुकारता है।]