पृष्ठ:कलम, तलवार और त्याग.pdf/१२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१२५ ]
गेरीबाल्डी
 


का ही फल है कि जब एक पुण्यशीला देवी-स्वरूपा महिला मेरे लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रही है तब मुझ पर कोई विपत्ति नहीं आ सकती है।

बचपन से ही गेरीबाल्डी की सहज निर्भीकता, स्वातंत्र्यप्रियता, और दीन-दुखियों के साथ सहानुभूति का परिचय मिलने लगा, आठ साल का भी न होने पाया था कि एक स्त्री को डूबते देखकर मर्दानगी के साथ नदी में कूद पड़ा और उसे काल के गाल से निकाल लाया। इसके कुछ साल बाद इसके कुछ मित्र नौका-विहार कर रहे थे कि भयानक तूफान आ गया और नाव के जल-निमग्न हो जाने की आशंका होने लगी। गेरीबाल्डी किनारे से यह अवस्था देख रहा था, तुरत हिम्मत बाँधकर पानी में कूद पड़ा, और नौका को सकुशल किनारे लाया। उसके साहस और मानव-सहानुभूति की सैकड़ों कथाएँ लोगों की जान पर हैं। यही गुण थे जिन्होंने बाद में उसे राष्ट्र का कर्णधार और उसके गर्व की वस्तु बना दिया।

मा-बाप यद्यपि निर्धन थे, पर बेटे की बुद्धि की तीक्ष्णता को देखकर उसे अच्छी शिक्षा दिलवाई। उनकी इच्छा थी कि वह वकालत को पेशा करे। पर एक ऐसे नवयुवक को जिस पर सैनिक और नाविक जीवन की धुन सवार थी, मुक़दमों के सबूत ढूँढने और पुरानी, दीमकों की चाटी हुई नज़रें तलाश करने में तनिक भी दिलचस्पी नहीं हो सकती थी। इसलिए उसने सार्डीनिया की जलसेना में नौकरी कर ली और कई साल तक उस चित्त की दृढ़ता और कष्टसहिष्णुता को अभ्यास करता रहा, जिसने आगे चलकर उसकी राष्ट्रीय आकांक्षाओं की पूर्ति में बड़ी सहायता की।

इटली की दशा उन दिनों बहुत बिगड़ रही थी। उत्तरी भाग आस्ट्रिया के अत्याचारों से चीख-चिल्ला रहा था। दक्षिण में नेपुल्स के उलीउनों की धूम थी, मध्य देश में पोप ने अंधेर मचा रखा था, और पच्छिम में पेडमांट के जोर-जुल्म का चक्र चल रहा था। पर चारों ओर राष्ट्रीय जागृति के चिह्न प्रकट हो रहे थे और युवकों के हृदयों में