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कालम, तलवार और त्याग
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अपने देश को विदेशियों के उत्पीड़नों से मुक्त करने, इटली को एक राष्ट्रीय राज्य के रूप में परिणत करने और दुनिया के सम्मानित राष्ट्र की श्रेणी में स्थान दिलाने की उमंगे उठ रही थीं। यह उत्साह केवल शिक्षित-वर्ग तक सीमित न था, साधारण जनता में भी आजादी का वह जोश पैदा हो चला था, जिसने फ्रांस के प्रभुत्व का ताना-बाना बिखेर दिया। देश-प्रेमियों ने 'यंग इटाली' (युवा इटली) नाम की एक संस्था स्थापित कर रखी थी, जिसका प्राण मेजिनी जैसा सच्चा देशभक्त था। अतः उद्देश्यसिद्धि के अनेक साधनों और उपायों पर विचार करने के बाद '८३२ ई० में यह निश्चय किया गया कि देश में राज्यों के विरुद्ध विप्लव कर दिया जाय और इसका आरंभ पेडमांट से हो। गेरीबाल्डी को यह समाचार सुनकर कब माने पर अधिकार रह सकता था। तुरत नौकरी से इस्तीफा देकर मेजिनी की मदद के लिए जा पहुँचा। पर संभवतः मसाला पक्का न था। भण्डा फूट गया और दल छिन्न-भिन्न हो गया। मेजिनी तो गिरफ्तार हो गया, पर गेरीबाल्डी किसी तरह भाग निकला, पर उसकी बेचैन तबियत को चैन कहाँ। सदा छिपे-छिपे पत्रों और संदेशवाहकों के द्वारा आग भड़काता रहता था। दो बरस बाद फिर एक दल तैयार किया। पर अबकी खूद गिरफ्तार हो गया। सामयिक शासक ने प्राण-दण्ड का अधिकारी ठह- राया। अपने सत्सङ्कल्प के लिए शहीद होने की समय आ ही पहुँच था कि प्राण-रक्षा का उपाय निकल आया। भागकर फ्रांस पहुंचा और ट्यूनिस होता हुआ दक्षिणी अमरीका में दाखिल हो गया। वहाँ उन दिनों कई जातियाँ स्वाधीनता के लिए अपने ऊपर शासन करनेवाली शक्तियों से लड़ने को तैयार थीं। गेरीबाल्डी ने बारी-बारी से उनकी सहायता की। छोटी-छोटी सेनाएँ लेकर बरसों तक जंगलों- अहा मैं लड़ता-भिड़ता रहा। उसकी पति-परायणा पत्नी अनीता इस सारे क्लेश-कष्ट में उसकी साथी थी। इस समय लड़ने-भिड़ने में वह इतना व्यस्त रहता था कि चार बरस तक एक दिन भी आराम से बिस्तर पर लेटना न नसीब हुआ। जब नींद दबाती तो,घोड़े की