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रेनाल्ड्स
 


अकसर ऐसा होता है कि लोग पोप की चित्रशाला % की सैर के बाद जब बिदा होने लगते हैं तो प्रथदर्शक से पूछते हैं, यहाँ राफाएल के चित्र कहाँ है ? वह इन तसवीरों को सरसरी तौर पर देख जाते हैं और इनमें उन्हें कोई खास ख़ूबी नहीं दिखाई देती। मैंने जब पहले-पहल चित्रशाला की सैर की तो मुझको भारी निराशा हुई। यही स्थिति मेरे एक चित्रकार मित्र की थी। पर यद्यपि मुझको इन चित्रों को देखने से वह आनन्द न आया, जिसकी आशा थी, फिर भी एक क्षण के लिए भी मेरे मन में यह बात न आई कि राफाएल की प्रसिद्धि दर के ढोल है। मैंने इस विषय में अपने ही को दोषी ठहराया। ऐसी अद्भुत अनुपम वस्तुओं से प्रभावित न होना बड़ी लज्जा की बात थी। पर इसका कारण यह था कि न तो मैं उन सिद्धान्तों से परिचित था, जिन पर वह चित्र बनाये गये थे और न इसके पहले कभी मचे चित्रकला के आचार्यों की कृतियाँ देखने का अवसर मिला था। मुझे अब मालूम हुआ कि चित्रकला के विषय में हो विचार मैं इंगलैण्ड से लाया हूँ, यह बिल्कुल रालत और बहकानेवाले हैं। आवश्यक जान पड़ा कि उन सब भ्रान्त विचारों को मैं अपने मन से निकाल डालुँ और अन्त में ऐसा ही किया। इस निराशा के बाद भी एक तसवीर की नक़ल उतारने लगा। मैंने उसे बार- बार देखा, उसकी खूबियों और बारीकियों पर देर तक गौर किया। थोड़े ही अरसे में मेरे हृदय में नई रुचि और नई अनुभूति उत्पन्न हो गई।"

किसी कल के सौंदर्य को पहचानने, समझने और उससे आनन्द प्राप्त करने की योग्यता एक अर्जित गुण है जो बिना कठोर श्रम, मनो- निवेश और अभ्यास के प्राप्त नहीं हो सकती। काव्य या संगीत की सच्ची और मार्मिक रसानुभूति प्राप्त करने के लिए इन्हीं बातों की

| * यह चित्रशाला पोपलियौ नै स्थापित की थी और इसमें इटली के यशस्वी चित्रकारों की कृतियाँ रखी हुई हैं।