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रेनाल्ड्स
 


श्रृङ्गार करने में अपनी कला का उपयोग करता रहा हो, दुःख और विपत्ति की कहानी को किस प्रकार चित्रित कर सकता। दान्ते का दृढ़चित्त नायक रेनाल्ड्स के अलेखन में क्षुघा-क्षीण और पिपन्न दिखाई देता है। उसके बज्र-संकल्प और महानुभावता का तनिक भी परिचय नहीं मिलती। पर रेनाल्ड्स की पैसिल से जो कुछ निकलता था, इसका आदर होना निश्चित था। एक रईस ने इस चित्र को ४०० पौंड में खरीद लिया। इसी साल जुलाई महीने में रेनाल्ड्स ' अक्सफर्ड की सैर को गया जहाँ उसकी बड़ा आवभगत हुई और सम्मानरूप में 'डाक्टर अआब ला’ (कानून के आचार्य) की उपाधि प्राप्त हुई। यहाँ इसकी मुलाकात डाक्टर बीटी से हुई, जिसकी गणना उन दिनो विद्वानों और विचारकों में थी। सत्य की अपरिवर्तनशीलता' पर उसने एक पुस्तक लिखी थी जिसमें उसने गिबन, बाल्टेयर और ह्यूम जैसे स्वाधोनचेत दिनों की भ निन्दा की थी। रेनाल्डस स्वयं दर्शन-शास्त्र से परिचित न था, इसलिए उसके हृदय में डाक्टर बीटी के लिए बड़ा आदर उत्पन्न हो गया। जब वह लंदन आया तो उसने बीटी का एक चित्र बनाया जो उसकी सर्वोत्तम कृतियों में है। बीटी आक्सफर्ड के पण्डितों के पहनावे में बैठा है। सत्य की अपरिवर्तनशीलता उसकी बराल में हैं। उसके पाश्र्व में सत्य का देवता खड़ा है जो नास्तिकता, धर्मविमुखता और अवज्ञा पर विजयी हो रहा है। इन पराजित आकृतियों में से, एक बहुत दुबली-पतली और विलासप्रिय दिखाई देती है। यह नास्तिकवा का चित्र है और बाल्टेयर से मिलती है। दूसरी, हृष्ट-पुष्ट, मोटी-ताज़ी है। यह धर्म-विमुखता की तसवीर है और ह्युम से मिलती है। तीसरी, अवज्ञा का चित्र है और गिबन का प्रतिबिम्ब जान पड़ती है। गोल्डस्मिथ ने इस वित्र को देखा तो उसके रोष की सीमा न रही। बोला, “आप ऐसे गुणी के लिए इस हद तक चापलूसी पर उतर आना बड़ी ही निन्दनीय बात है। आपको बाल्टेयर जैसे महापति पुरुष को बीटी जैसे मूर्ख बकवासी के मुकबले मैं जलील करने का क्योंकर साहस हुआ। बीटी