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६३ ]अकबर महान
 


उसी के मंगल नाम से, जो हमारे बेड़े को पार लगाने में महामंत्र का काम करेगा। अतः हे हिन्दु-मुसलमान भाइयो! मोहनिद्रा को त्यागकर उठो और सिकन्दरे की राह लो, जिसमें उनकी पवित्र समाधि पर मुसलमान अगर दो फूल चढ़ायें तो हिन्दू भाइयो, तुम भी थोड़ा पानी डालकर उसकी आत्मा को प्रसन्न कर दिया करो। कोई आश्चर्य नहीं कि उसके आशीर्वाद से हमारे बेबुनियाद झगड़े और मतभेद मिटाकर फिर मेल और एकता की सूरत पैदा हो जाय। खेद और लज्जा की बात है कि ब्रिटिश सरकार परदेशी होते हुए भी अपने को उसका स्थानापन्न और उसके अनुकरण में गौरव माने और तुम अपने देशभक्त राष्ट्रीय सम्राट् की बहुमूल्य विरासत की ओर आँख उठाकर भी न देखो।