पृष्ठ:कवितावली.pdf/२३२

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कांडोक हुन्दाक पृष्टॉक ३० ३१ १७३ १०७ पिया परनारि निसा-तरुनाई १८५ २११ १२५ श्र. २७ बा० ७ 6 ११६ ३०५ १७७ २०७ २२२ २४३ ११५ संकर सहर सर, नरनारि बारिचर सब-अंग-हीन, सब-साधन-विहीन, मन सर चारिक चारु बनाइ कसे सरजू पर तौरहि तीर फिरें सर तामर सेल समूह पवारत स्पंदन, गयंद, बाजि-राज, भले भले भट स्वारथ को साजन समाज परमारथ को स्वारथ सयानप, प्रपंच परमारथ साँची कहौ कलिकाल कराल मैं साँवरे गोरे सलोने सुभाय साजि के सनाह गजगाह स उछाह दल साहसी समीर-सूनु नीर-निधि लंघि, लखि सिथिल सनेह कहै कासिला सुमित्रा जू से सिय-राम-सरूप अगाध अनूप सिला-साप-पाप, गुह गीध को मिलाप सीय के स्वयंबर समाज जहाँ राजनि को सीय को सनेह सील, कथा तथा लंक की सीस जटा, उर बाहु बिसाल सीस बसै बरदा बरदानि सुंदर बदन, सरसोरुह सुहाये नैन सुत, दार, अगार, सखा, परिवार सुनिये कराल कलिकाल भूमिपाल तुम सुनि सुंदर बैन सुधारस-साने सुनु कान दिये नित नेम लिये सुभुज मारीच खर त्रिसिर दूषन बालि सुरराज से राज-समाज, समृद्धि १५ ८० २५ १७६ १६३ ९० १०६ सुं० WWh अ० २१ उ. १५५ अ० १६ १७२ १७२ २४२ १४२ प्र० २२ उ० २६ १०६ उ० ४२ १८४