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पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/१५०

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तुलसीदास
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व्यवहार हुआ था, वह मीराबाई के चरित्र में लिखा गया है। इन बातों से प्रकट होता है कि तुलसीदासजी की कीर्ति उनके जीवन काल में हीं चारों ओर फैल गई थी।

तुलसीदासजी ने इतने ग्रन्थ बनाए:—

१—रामचरित मानस, २—कवित्त रामायण, ३—दोहावली, ४—गीतावली, ५—रामाज्ञ, ६—विनय पत्रिका, ७—बरवै रामायण, ८—रामलला नहछू, ९—वैराग्य संदीपनी, १०—कृष्ण गीतावली, ११—पार्वती मङ्गल, १२—राम सतसई, १३—रामशलाका, १४—कड़वा रामायण, १५—संकट मोचन, १६—छन्दावली, १७– हनुमद्बाहुक, १८—छप्पय रामायण १९—झूलना रामायण, २०—कुंडलिया रामायण, २१—जानकी मंगल।

इनमें कई एक ग्रन्थ नहीं मिलते। तुलसीदास जी के ग्रन्थों में रामचरित मानस सब से बड़ा और बहुत ही लोकप्रिय ग्रन्थ है भारत में अब तक इसकी करोड़ों प्रतियाँ छप चुकी हैं। यह एक ऐसा सर्वप्रिय ग्रन्थ है कि गरीब की झोपड़ी से लेकर राजा के महल तक इसकी पहुँच है। इस एक ग्रन्थ ने ही तुलसीदास जी को तब तक के लिये अमर कर दिया, जब तक पृथ्वी पर हिन्दू जाति और हिन्दी भाषा का अस्तित्व है। कौन कह सकता था कि एक गरीब के घर में उत्पन्न होकर, एक साधारण स्त्री द्वारा प्रतारित युवक इस असार संसार में अनंत काल के लिये अपनी कीर्ति ध्वजा स्थापित कर जायगा। हमने तुलसीदास जी के ग्रन्थों में से कुछ दोहे, चौपाई, अथवा, कवित, भजन आदि संग्रह कर दिये हैं, परन्तु इनकी कविता का पूरा आनन्द तो तभी मिलेगा जब