पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/१४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( १३० )

उदाहरण

(कवित्त)

शोणित सलिल, नर बानर, सलिलचर,
गिरि हनुमंत, बिष विभीषण डारयो है।
चॅवर पताका बड़ी बड़वा अनलसम,
रोगरिपु जामवन्त केशव विचारयो है।
वाजि सुखाजि, सुरगज से अनेक गज,
भरत सबधु इंदु अमृत निहारयो है।
सोहत सहित शेष रामचन्द्र, कुश, लव,
जीति कै समर सिन्धु सांचेहू सुधारयो है॥३१॥


( इस युद्ध रूपी समुद्र मे ) रक्त ही जल है तथा नर और बानर ही पानी में रहने वाले जीव-जन्तु हैं। हनुमान जी पहाड़ है और विभीषण ( रंग में विष के रंग के समान काले होने के कारण ) विष है। चमर और पताकाएँ ही बड़वाग्नि है और केशवदास कहते है कि जामवन्त ही रोगरिपु अर्थात् धन्वन्तरि वैद्य है। उच्चैश्रवा जैसे बहुत से घोड़े और ऐरावत जैसे बहुत से हाथी है तथा भाई (शत्रुघ्न) सहित भरत, चन्द्रमा और अमृत है। लक्ष्मण के सहित श्री रामचन्द्र ही इसके शेषनाग और नारायण है, (क्योकि लक्ष्मण शेष के अवतार हैं और श्रीरामचन्द्र स्वंय नारायण ही है)। इसलिए कुश और लव ने इस युद्ध भूमि को जीत कर समुद्र का सच्चा रूप दे दिया है।

आखेट वर्णन

दोहा

जुर्रा, बहरी, बाज, बहु, चीते, श्वान, सचान।
सहर, बहिलिया, भिलल्युत, नील निचोल विधान॥३२॥
बानर, बाघ, बराह, मृग, मीनादिक, बनजन्त।
बध बन्धन बेधन बरणि, मृगया खेल अनन्त॥३३॥