पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/२१९

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जहाँ किसी भी एक ढङ्ग से, भली और बुरी बातो का समान परिणाम (अर्थात् भले का भला और बुरे का बुरा) प्रकट किया जाता है उसे 'निदर्शना' कहते है, इसको सभी चतुर लोग जानते है।

उदाहरण

कवित्त

तेई करे चिरराज, राजन में राजै राज,
तिनही को यश लोक-लोक न अटतु है।
जीवन, जनम तिनही के धन्य 'केशौदास'
औरन को पशु सम दिन निघटतु है।
तेई प्रभु परम प्रसिद्ध पुहुमी के पति,
तिनही की प्रभु प्रभुताई को रटतु है।
सूरज समान सोम मित्रहू अमित्र कहँ,
सुख, दुख निज उदै अस्त प्रगटतु है॥५०॥

वे ही राजा चिरकाल तक राज्य करते है, तथा वे ही राजाओ मे अच्छे माने जाते है और उन्हीं का यश लोको मे नहीं समाता। 'केशवदास' कहते है कि उन्हीं का जन्म धन्य समझना चाहिए और अन्य राजाओ के दिन तो पशु के समान केवल, खाने-पीने और सोने में कटते है। वही राजा प्रसिद्ध होते हैं और उन्हीं राजाओ की प्रभुताई को लोग रटते रहते है जो सूर्य और चन्द्रमा की भाँति अपने उदय तथा अस्त से, मित्र तथा शत्रुओ को, सुख अथवा दुख देते है।

१६-ऊर्जालङ्कार

दोहा

तजै निज हॅकार को, यद्यपि घटै सहाय।
ऊर्ज नाम तासों कहे, केशवकवि कविराय॥५१॥