जिस रचना में प्रश्नो का उत्तर बाहर से निश्चित करना पडे, उसे
बहिर्लोपिक तथा जिसमे उत्तर रचना के भीतर ही निकल आवे, उसे
अन्तर्लोपिक कहते है।
उदाहरण
बहिर्लापिका
दोहा
अनर कौन विकल्प को, युवति बसत कीहि अंग।
बलिराजा कौने छल्यो, सुरपति के परसंग ॥४५॥
प्रश्न-(१) विकल्प का अक्षर कौन है ? (२) स्त्री का स्थान
शरीर के किस ओर है ? (३) इन्द्र के लिए राजा बलि को किसने छला
था ? उत्तर-(१) 'वा' (२) वाम (३) वामन ।
[ये सभी अक्षर छद में सम्मिलित नहीं है प्रत्युत बाहर से लाने
पडे है, मत बहिलापिका अलकार है ]
उदाहरण
अन्तापिका
दोहा
कौन जाति सीतासती, दई कौन कहे तात।
कौन ग्रन्थ वरण्यो हरी, रामायण अवदात ॥४६॥
प्रश्न-(१) सती सीताजी किस जाति की स्त्री थीं ? (२) उनके
पिता ने उन्हे क्सिको दिया ? (३) उनका हरण किस ग्रन्थ में
वर्णन किया गया है ? उत्तर (१) रामा (२) रामाय (३)
रामायण।
[ इसमे उत्तर के सभी अक्षर छन्द के अन्तर्गत ही आ गये है,
अत अन्तलापिका लअकार है।]
पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/३३१
Jump to navigation
Jump to search
यह पृष्ठ शोधित नही है
