उदाहरण
छप्पय
को शुभ अक्षर, कौन युवति योधन बस कीनी ।
विजय सिद्धि संग्रास, राम कह कौनों दीनी॥
कंसराज यदुबंस, बसत कैसे केशव पुर।
बटसो करिये कहा, नाम जानहु अपने उर ॥
कहि कौन जननि जगजगत की, कमल नयन कंचन बरणि ।
सुनि वेद पुराणन मे कही, सनकादिक 'शकरतरुणि' ॥१५॥
शुभ अक्षर कौन है ? योद्धो ने किस युवती को अपने वश मे कर
लिया है ? श्रीरामचन्द्र को युद्ध मे विजय प्राप्त किसने कराई ? 'केशव'
कहते है कि कंस के राज्य मे यदुवश कैसे निवास करता था? वट से
क्या कहते है ? इसे अपने हृदय मे विचारो। कमल जैसे नेत्रवाली तथा
कचन जैसे रग की समस्त जग की माता कौन कहलाती है ? इन सभी
प्रश्नो का उत्तर सनकादि ने, वेद और पुराणो के अनुसार 'तरुनि'
वाक्य मे दे दिया है। [ इसमे अतिम उत्तर 'शकर तरुनि' के सबसे
पहले अक्षर 'श' को लीजिए। यह पहले प्रश्न का उत्तर हुआ ।
फिर उसमे आगे का अक्षर 'क' जोडिए यह 'शक' दूसरे प्रश्न का
उत्तर हुआ । इसी तरह से शकर, शकरत, 'शक तरु' और 'शकर तरुणि
उत्तर बनते है।
उदाहरण-२
कवित्त
कोल काहि धरी धरि धीरज धरमहित,
मारयो केहि सूत बलदेव जोर जब सों।
जॉचै कहा जग जगदीश सों 'केशवदास',
गायो कौने रामायण गीत शुभरय सों।
पृष्ठ:कवि-प्रिया.djvu/३३६
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