डालकर कहा:
'तुमने कहा था, मैं डरता नहीं।'
'मैं डरता तो नहीं।'
'तब आगा-पीछा क्या सोच रहे हो, भागने की जुगत में हो?'
'मैं जानना चाहता हूं, तुम क्या चाहती हो।'
'क्या यहां खड़े-खड़े आप मेरा मतलब जानना चाहते हैं?'
'अनजाने मैं कहीं जाना नहीं चाहता।'
'तब यहां तक क्यों आए?'
'तुम कौन हो?'
'एक दुखिया स्त्री।
"कहां रहती हो?'
'निकट ही, वह क्या मकान दिखाई दे रहा है।'
उसने सामने एक साधारण घर की ओर संकेत किया।
'वहां और कौन हैं?'
'मेरा पति है।'
'वह कोई काम क्यों नहीं करता? तुम्हें भीख मांगकर उसे खिलाना पड़ता है।'
'पाप तो सब बातें यहीं खत्म कर देना चाहते हैं।'
'मैं घर नहीं जाना चाहता, तुम्हें यदि कुछ सहायता चाहिए तो मैं तुम्हें दे सकता हूं।'
'पाप चले जाइए, मुझे आपकी सहायता नहीं चाहिए।' उसने हंसकर कहा और फिर ऐंठकर चल दी।'
वह अद्भुत अज्ञात सुन्दरी बाला मुझ अपरिचित से सुनसान रात्रि में ऐसी नोक-झोंक से बातें करके चल दी। मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि वह किसी रस्सी से बांधकर मुझे खींचे लिए जा रही है।
मैंने कहा-ठहरो, नाराज़ क्यों होती हो?
वह खड़ी हो गई।
मैंने पास जाकर कहा-आखिर तुम्हारा मतलब क्या है? साफ-साफ क्यों नहीं कहती हो?
उसने क्षण-भर उन चमकीली आंखों से मेरी तरफ देखा, मुख पर से