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प्यार
 

तरफ का वातावरण निहायत खुशनुमा रहता था। परन्तु उसका हृदय उदास रहता। वह बहुधा फारसी के प्रसिद्ध कवि हाफिज़ का एक शेर गुनगुनाया करती, जिसका भावार्थ यों था: पछवा हवा का एक झोंका वातावरण को सुरभित कर देगा। और तब पुरानी दुनिया नई में बदल जाएगी। परन्तु उसके इस बन्दी-जीवन के दिन बीतते चले जा रहे थे। पर उसके निराश जीवन में न पछवा का वह झोंका आता था, और न उसकी दुनिया बदलती थी।

कलमी तस्वीरें बनाकर और कसीदाकारी का काम करके उसने अपनी आजीविका चलाना प्रारम्भ किया। शीघ्र ही उसके हाथ की बनी वस्तुएं दिल्ली और आगरा में ऊंचे मूल्य पर बिकने लगीं। राजधानी में इन वस्तुओं का बड़ा महत्त्व हो गया। दिल्ली और आगरा की ऊंची घराने की महिलाएं और अमीर-उमरा मेहरुन्निसा के हाथों से रेशम पर बने चित्रों और कसीदों के प्रशंसक हो गए। दिल्ली और आगरा की महिलाओं में उसने एक नये फैशन और सुरुचि का प्रसार किया।

जिस-जिससे उसका सम्पर्क हुआ, उसपर उसने उच्च चारित्र्य-सम्बन्धी प्रभाव डाला। परन्तु उसकी आशाएं मुझी रही थीं। वह चिड़चिड़ी हो गई थी, और शीघ्र ही क्रुद्ध हो जाती थी। वह सुखी नहीं थी। अपने बेबस बन्दी-जीवन को वह भार समझती थी। अपने जीवन और जीवन के ध्येय के सम्बन्ध में वह बहुधा विचार करती। वह समझती थी कि वह इस प्रकार अपने जीवन को नष्ट करने के लिए पैदा नहीं हुई है। वह उपेक्षिता थी, परन्तु वह अपनी आत्मा के तेज और अहं के दर्प से परिपूर्ण थी।

अचानक उसने सुना कि हरम में एक ऐसी औरत आई है, जो भविष्यवाणी करती है, और मनुष्य के भाग्य के रहस्यों को बताती है। उसने उसे बुलाया।

रम्माला बुढ़िया बहुत बूढ़ी थी। उसके बाल सन के समान सफेद थे। इस उम्र में भी उसकी दृष्टि सतेज थी। शेरअफगन की विधवा को देखते ही उसने अपने दोनों दुबले-पतले हाथ ऊपर उठाए, और दोनों हाथों की उंगलियों को पर-स्पर उमेठते हुए विक्षिप्त-सी मुद्रा में असम्बद्ध शब्द कहने आरम्भ किए। वे शब्द बड़े प्रभावशाली थे।

मेहरुन्निसा ने कुछ-कुछ भीत मुद्रा में कहा-बड़ी बी, तुम्हारी इन बातों का मतलब क्या है? मैं अपने भाग्य और भावी जीवन के सम्बन्ध में कुछ जानना