डिप्टी साहब कुछ सोचकर बोले-बेशक, अच्छा आप मेरे साथ सुपरिटेंडेंट साहब के बंगले पर चलिए। उनकी जैसी राय होगी, वैसा बन्दोबस्त कर दिया जाएगा। वह बदमाश मुद्दत से पुलिस को झांसा दे रहा है। अच्छी बात है, देखा जाएगा। चलिए, आपकी गाड़ी तो बाहर है न?
डिप्टी साहब कोट-पैट से लैस होकर और हैट सिर पर रखकर सुपरिटेंडेंट साहब के बंगले की तरफ चले। चपरासी ने फौरन खबर दी और साहब ने डिप्टी साहब को भीतर बुला लिया।
साहब-हलो मिस्टर सिन्हा, आज क्या खबर है?
डिप्टी-हुजूर, और तो सब ठीक है, मगर आज वह मशहूर बदमाश नजफखां फंसनेवाला है।
साहब-अच्छा, अच्छा, वह कैसे फंसाया जाएगा? क्या तरकीब सोची है आपने?
डिप्टी साहब ने बड़नककी का सब किस्सा सुनाकर कहा-हुजूर, वह वेश्या भी गाड़ी में है, उसके मुंह से सब दास्तान सुन लीजिए।
साहब-हां, अच्छा उसे बुला लो।
बड़नककी ने भीतर प्रवेश करके साहब को फर्शी सलाम झुकाया।
साहब-(नीचे से ऊपर तक देखकर) तुम्हारा ही नाम बड़नककी है?
बड़नककी-हुजूर, गरीब-परवर, इसी नाचीज़ को बड़नककी कहते हैं।
'क्या तुम्हारे यहां वह बदमाश डाकू कल आया था?'
'जी हां हुजूर।'
'क्या मांगता था?
'हुजूर, दस हजार रुपये लूणिया मसाणा के पीपल के नीचे आज रात को आठ बजे तक दबा देने के लिए कह गया है। अगर उस वक्त तक वे रुपये वहां नहीं पहुंचे तो वह ज़रूर-बिल-ज़रूर मेरा खून कर देगा। कल ही मेरे मकान में घुस जाएगा, ज़िन्दा न छोड़ेगा।'
'हां, ऐसा?'
बड़नककी-हां हुजूर, गरीब-परवर!
साहब-अच्छा, डरने की कोई बात नहीं। वेल डिप्टी साहब, अभी पुलिस का पूरा दस्ता इसके मकान पर चुपचाप लगा दो और मैं कमांडिंग आफिसर अज-