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पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/५४

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पाम न हुमा ती भी लोगों के लिए यात फुध अनुफरत और उपकारी यन गया । इम का यग इन दोनों समानों को ही देना चाहिए । याप को अपने देश की राष्ट्रीय मभासे भी बहुत ही प्रेम है। सन् १८८० में जय एटयों फांग्रेस को यैठक फलफत्ते में हुई तब भाप समके सभापति बनाए गए । उस समय माप ने सभापति के , प्रासन को ग्रहण फरफे शो प्यास्यान दिया चो यह बहुत ही उत्तम पा । उससे आप.को विद्या,यक्तत्ययक्ति, नीति निपुणता और दूरदर्शिता का बहुत फुछ पता लगता है । उमके पढ़ने से यह साफ़ मालूम हो सकता है कि मिस्टर मेहता अध्यन दरजे के नीतता है। आप के भाषण का असर मिस्टर श्यान और केन इन दो प्रसिद्ध अंगरेजों पर खूम ही पड़ा । आपके भापण द्वारा इन दोनों सज्जनों को फांग्रेस का उद्देश्य और देश की दशा अच्छी तरह मालूम होगई। हमारे विचार से जिस किसी विदेशी विद्वान् ने द्वेपरहित होकर भारतराष्ट्रीय सभा के उद्देश्यों को सुना, पढ़ा, अथवा समझा, उसने सभा के कार्य और कार्यकर्ताओं की प्रशंसा की। सन् १८९२ में कांग्रेस का यह उद्योग सफल हुमा कि सरकारी कानूनी फौंसिल में मजा द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि भी हों । सरकार ने इस बात को स्वीकार करके इस का फ़ानून पास कर दिया कि प्रजा द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि सरकारी कानून कोंसिल में रहा करें। इस कानून के पास हो जाने बाद मिस्टर मेहता यम्बई कारपोरेशन की ओर से बम्बई प्रान्त की कौंसिल के सभासद हुए। कौंसलर होने के दिनसे अबतक प्राप बरावर प्रजा के दुःख को सरकार से निवेदन किया करते हैं। जय कभी कोई कानून-प्रजा के अहित का सभा में पेश होता है तब आप उसका निःशंक 'हो कर खंडन करते हैं। इस मामले में आप सरकारी कर्मचारियों की अकृपा अथवा नाराज़ी की कुछ भी परवाह नहीं करते। बारह तेरह वर्ष से बरावर आप यम्बई प्रान्त की सभा में सभासद हैं । दो बार आप.बम्बई प्रान्त की ओर से भारत सरकार की कानून बनाने वाली भी रह चुके हैं । आप बहुत बड़े स्वार्थत्यागी भी हैं। 'जब आप ने यह देखा कि हमारे प्रान्त के नवयुवक गोपाल कृष्ण गोखले । सभा के सभासद