पृष्ठ:काजर की कोठरी.djvu/६२

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62 बाजरको वाटरी यादी (तना कर) उफ ! जब कि यह मेरी तबीयत के खिलाफ परये मेरा दिल जलाती है तो मैं उह बहने से कब वाज आती है। इतना कहार नगदी चली गई और थोड़ी ही देर में अपनी मम्मा वा माय लेकर चली आई। उस समय उमरी निगोडी अम्मा के हाथ में क्लम- न्वात और गगज भी मौजूद था। बडे-बडे मरातवे हो, अल्लाह सलामत रवसे ।" इत्यादि महती हुई वह पारसनाय के पास बैठ पर धीरे धीरे बातें परन लगी और थाटी ही देर म उल्लू बनाकर उसने पारसनाथ से अपनी इच्छानुसार पुर्जा निम्बवा लिया। मामूली सिरनामे के बाद उस पुर्जे का मजमून यह था- "बादी वी अम्माजान 'रसूलवादी' स में एक्रार करता है कि उसकी कोशिश से अगर 'सरला' (जा इस समय हमारे कब्जे मे है) मेरी इच्छा- नुसार हरन दन के अतिरिक्त क्सिी दूसरे के साथ प्रसन्नतापूर्वक विवाह कर लेगी तो मैं 'रमतवादी' को दस हजार रुपये नगद दूगा।" पुर्जा लिखवा पर बुढिया विदा हुई और वादी पारसनाथ को अपने नखरे का आनद दिखाने लगी। मगर पारसनाथ के लिए यह खुशकिस्मती का समय घण्टे भर से ज्यादे देर तक के लिए न था क्योकि इसी बीच में लौंडी ने हरनन्दन बाबू के आन की इत्तला दी जिसे सुन कर पासरनाप ने बादी से कहा, "लो, तुम्हारे हरनन्दन बाबू आ गए, अब मुझे विदा करो।" बादी मेरे काहे को होगे, जिसके होगे उसके होंगे। मैं तो तुम्हारे काम का खयाल करके उहे अपने यहा आने देती हूँ, नहीं तो मुझे गरज ही क्या पडी है? पारस० उनकी गरज तो कुछ नहीं मगर रुपये की गरज तो है ? वादी जी नही मुझे रुपये की भी लालच नही, मैं तो मुहब्बत की भूखी हू, सो तुम्हारे सिवाय और किसी मे देखती नहीं। पारस० तो अब हरलदन से मेरा क्या काम निक्लेगा? वादी वाह वाह | क्या सूब? इसी अक्ल पर सरला की शादी दूसर + साथ करा रहे हो? पारस० सो क्या? बादी आखिर दूसरी शादी करने के लिए सरला को क्याकर राजी 1