पृष्ठ:कामना.djvu/२९

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कामना
 

जिस दिन तूने उस चमकीली वस्तु के लिए हाथ पसारा, उसी दिन इस देश की दुर्दशा का प्रारम्भ होगा।

(चली जाती है)

लीला-(कुछ देर बाद ) आश्चर्य | आन तक तो वन-लक्ष्मी किसी से नहीं मिली थी। अब मै क्या करूँ ? चलकर कामना से कहूँ, या उपासना-गृह में ही सबके सामने कहूँ। ( सोचती है) नहीं, अलग ही कहना ठीक होगा । तो चलूं, ( रुककर ) यह लो, कामना ती स्वयं आ रही है।

( कामना का प्रवेश)

कामना-लीला, सखी, तू कैसी हो रही है ?

लीला-मै तो तेरे ही पास आ रही थी। बड़े आश्चर्य की बात है।

कामना-आश्चर्य की कई बाते आजकल इस द्वीप में हो रही हैं । पर उनसे क्या ? पहले मेरी ही बात सुन ले । मै विलास के साथ बाते कर रही थी कि पक्षियों का संकेत हुआ। मै उपासना-गृह में गई। मुझे नियमानुसार यह विदित हुआ कि इस देश पर कोई आपत्ति शीघ्र आया चाहती है। परंतु

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