पृष्ठ:कामना.djvu/५५

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कामना
 


जिस मिट्टी से रस खीचकर फूला था, उसी मे अपना रंग-रूप मिला रहा है। परंतु विश्वम्भरा इस फूल के प्रत्येक केसर बीज को अलग-अलग वृक्ष बना देगी, और उन्हे सैकड़ों फूल देगी।

कामना--इसमे तो बड़ी आशा है।

विलास--इसी का अनुकरण, निग्रह-अनुग्रह की क्षमता का केंद्र, प्रतिफल की अमोघ शक्ति में यथाभाग-संतुष्ट रखने का साधन, राजशक्ति है। इस देश के कल्याण के लिए उसी तंत्र का तुम्हारे द्वारा प्रचार किया गया है, और तुम बनाई गई हो रानी। और रानी का पुरुष कौन होता है, जानती हो?

कामना--नहीं, बताओ।

विलास--राजा। परंतु मै तुम्हे ही इस द्वीप की एकच्छत्र अधिकारिणी देखा चाहता हूँ। उसमें हिस्सा नही बॅटाना चाहता।

कामना--तब मेरा रानी होना व्यर्थ था।

विलास--परंतु तुम्हारी सब सेवा के लिए मै प्रस्तुत हूॅ। कामना, तुम द्वीप-भर मे कुमारी ही बनी रहकर अपना प्रभाव विस्तृत करो। यही तुम्हारे रानी बने रहने के लिए पर्याप्त कारण हो जायगा।

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