पृष्ठ:कामना.djvu/६९

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कामना

विलास—(स्वगत)—कामना एक सुंदर रानी होने के योग्य प्रभावशालिनी स्त्री है । उसने ब्याह का प्रस्ताव किया था । मै भी व्याह के पवित्र बंधन मे बँधकर गंजा होकर सुखी होता, परंतु मेरी मान- सिक अव्यवस्था कैसे छाया-चित्र दिखलाती है ! कोई अदृष्ट शक्ति संकेत कर रही है।—नहीं, कामना एक गर्व-पूर्ण और सरल हृदय की स्त्री है । रंगीन तो है, पर निरीह इंद्रधनुष के समान उदय होकर विलीन होनेवाली है। तेज तो है, पर वेदी की धध- काने से जलने वाली ज्वाला है। मै उसको अपना हृदय-समर्पण नहीं कर सकता। मुझको चाहिये बिजली के समान वक्र रेखाओं का सृजन करने वाली, ऑखो को चौधिया देने वाली तीव्र और-विचित्र वर्णमाला, निस हृदय मे ज्वालामुखी धधकती हो, जिसे ईधन का काम न हो, वह दुर्दमनीय तेन- ज्वाला। मैं उसी का अनुगत हूँगा। यह हृदय उसी का लोहा मानेगा । इस फूलों के द्वीप में मधुप के समान विहार करूंगा। मै इस देश के अनिर्दिष्ट पथ का धूमकेतु हूँ। चलूंगा, मेरी महत्त्वा- कांक्षा ने अवकाश और समय दोनों की सृष्टि कर दी

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