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कायाकल्प]
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और तकलीफ का इसे जरा भी खयाल नहीं। चक्रधर से न जाने क्यों इतना स्नेह है। कहीं उससे प्रेम तो नहीं करती? नहीं, यह बात नहीं। सरल हृदय बालिका है। ये कौशल क्या जाने। चक्रधर आदमी ही ऐसा है कि दूसरों को उससे मुहब्बत हो जाती है। जवानी में सहृदयता कुछ अधिक होती ही है। कोई मायाविनी स्त्री होती, तो मुझसे अपने मनोभावों को गुप्त रखती। जो कुछ करना होता, चुपके चुपके करती; पर इसके निश्छल हृदय में कपट कहाँ। जो कुछ कहती है, मुझी से कहती है; जो कष्ट होता है, मुझी को सुनाती है। मुझ पर पूरा विश्वास करती है। ईश्वर करे साहब से मुलाकात हो जाय और वह मेरी प्रार्थना स्वीकार कर लें! जिस वक्त मैं आकर यह शुभ समाचार कहूँगा, कितनी खुश होगी।

यह सोचते हुए राजा साहब मिस्टर जिम के बँगले पर पहुँचे। शाम हो गयी थी। साहब बहादुर सैर करने जा रहे थे। उनके बँगले में वह ताजगी और सफाई थी कि राजा साहब का चित्त प्रसन्न हो गया। उनके यहाँ दर्जनों माली थे, पर बाग इतना हरा-भरा न रहता था। यहाँ की हवा में आनन्द था। इकबाल हाथ बाँधे हुए खड़ा मालूम होता था। नौकर-चाकर कितने सलीकेदार थे, घोड़े कितने समझदार, पौधे कितने सुन्दर, यहाँ तक कि कुत्तों के चेहरे पर भी इकबाल की आभा झलक रही थी।

राजा साहब को देखते ही जिम साहब ने हाथ मिलाया और पूछा—आपने जेल में दंगे का हाल सुना?

राजा—जी हाँ! सुनकर बड़ा अफसोस हुआ।

जिम—सब उसी का शरारत है, उसी बागी नौजवान का।

राजा—हुजूर का मतलब चक्रधर से है?

जिम—हाँ, उसी से! बहुत ही खौफनाक आदमी है। उसी ने कैदियों को भड़काया है।

राजा—लेकिन अब तो उसको अपने किये की सजा मिल गयी। अगर बच भी गया तो महीनों चारपाई से न उठेगा।

जिम—ऐसे आदमी के लिए इतनी ही सजा काफी नहीं। हम उस पर मुकदमा चलायेगा।

राजा—मैंने सुना है कि उसके कन्धे में गहरा जख्म है और आपसे यह अर्ज करता हूँ कि उसे शहर के बड़े अस्पताल में रखा जाय, जहाँ उसका अच्छा इलाज हो सके। आपकी इतनी कृपा हो जाय, तो उस गरीब की जान बच जाय और सारे जिले में आपका नाम हो जाय। मैं इसका जिम्मा ले सकता हूँ कि अस्पताल में उसकी पूरी निगरानी रखी जायगी।

जिम—हम एक बागी के साथ कोई रियायत नहीं कर सकता। आप जानता है, मुगलों या मरहटों का राज होता, तो ऐसे आदमी को क्या सजा मिलता? उसका खाल खींच लिया जाता, या उसके दोनों हाथ काट लिये जाते। हम अपने दुश्मन को कोई