पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/१४९

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१४६ पूंजीवादी उत्पादन चांदी और तांबे के प्रतीकों में पातु का बबन कानून द्वारा इच्छानुसार निश्चित कर दिया जाता है। वे चलन में सोने के सिक्कों से भी ज्यादा तेजी से घिसते हैं। इसलिए वे जो काम करते हैं, वह उनके बदन से और इसलिए सब प्रकार के मूल्य से सर्वथा स्वतंत्र होता है। सिक्के के रूप में सोने का काम सोने के पातुगत मूल्य से पूर्णतया स्वतंत्र हो जाता है। इसलिए उसके स्थान पर वे चीजें भी सिक्कों का काम कर सकती हैं, जो अपेक्षाकृत मूल्यरहित होती हैं, जैसे कि कागज के नोट। यह विशुद्ध प्रतीकात्मक स्वरूप पातु के प्रतीकों में किसी हब तक छिपा हुमा रहता है। पर कागजी मुद्रा में बह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है। सच पूछिये, तो ce n'est que le premier pas qui coute (सिर्फ पहला कदम ही सदा मुश्किल होता है)। हम यहां केवल उस अपरिवर्तनीय कापसी मुद्रा की चर्चा कर रहे हैं, जिसे राज्य जारी करता है और जिसे अनिवार्य रूप से परिचलन में इस्तेमाल करना पड़ता है। इसका प्रत्यक्ष उदब-खोत पातु की मुद्रा के चलन में होता है। दूसरी मोर, उपार पर पाषारित मुद्रा के लिए कुछ ऐसी परिस्थितियां पावश्यक होती हैं, जिनसे हम मालों के साधारण परिचलन के दृष्टिकोण से अभी सर्वथा अपरिचित है। लेकिन हम इतना बकर कह सकते हैं कि जिस प्रकार सच्ची कागची मुद्रा चालू माध्यम के रूप में मुद्रा के कार्य से उत्पन्न हुई है, उसी प्रकार उधार पर माधारित मुद्रा भुगतान के साधन के रूप में मुद्रा के कार्य से स्वयंस्फूर्त ढंग से उत्पन्न होती है।' . जिनके पास सोने के सिक्के होते हैं, वे छोटी खरीदारियां करने के समय सोने के सिक्के देते है, और उनको बदले में खरीदे हुए माल के साथ-साथ बाकी रकम चांदी के सिक्कों के रूप में वापिस मिल जाती है। इस प्रकार वह अतिरिक्त चांदी, जो फुटकर दूकानदार के पास इकट्ठा होकर फ़जूल का बोझा बन जाती, उसके पास से खिंचकर माम परिचलन में बिखर जाती है। लेकिन यदि चांदी इतनी हो कि सोने से स्वतंत्र रहते हुए छोटे भुगतानों का काम चल जाये, तो फुटकर व्यापारी को छोटी खरीदारियों के एवज में चांदी मंजूर करनी पड़ेगी, और वह लाजिमी तौर पर उसके पास इकट्ठी हो जायेगी।" (David Buchanan, "Inquiry into the Taxation and Commercial Policy of Great Britain" [डेविड बुकानन , “ब्रिटेन की कर-निर्धारण और व्यापारिक नीति का विवेचन'], Edinburgh, 1844, पृ. २४८ , २४६ ।) 1चीनी वित्त मंत्री मंदारिन वान-मामो-इन के मन में एक रोज यह विचार माया कि देव- पुत्र सम्राट के सामने एक ऐसा सुझाव रखा जाये, जिसका गुप्त उद्देश्य साम्राज्य की अपरिवर्तनीय कागजी मुद्रा (assignats) को परिवर्तनीय बैंक नोटों में बदल देना हो। कागजी मुद्रा समिति ने अप्रैल १८५४ को अपनी रिपोर्ट में वित्त मंत्री की बुरी तरह खबर ली है। रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि मंत्री महोदय की परम्परागत शैली में बांसों से भी खबर ली गयी थी या नहीं। रिपोर्ट का अन्तिम अंश इस प्रकार है : “समिति ने उनके सुझाव पर ध्यानपूर्वक विचार किया है और वह इस नतीजे पर पहुंची है कि यह सुझाव पूरी तरह सौदागरों के हित में है और उससे सम्राट को कोई लाभ न होगा।" ("Arbeiten der Kaiserlich Russischen Gesandtschaft zu Peking über China.” Aus dem Russischen von Dr. K. Abel und F. A Mecklenburg. Erster Band (Tomo gant ata Q950 ए. मैक्लेनबुर्ग द्वारा रूसी भाषा से अनुवादित । खण्ण १, Berlin, 1858, पृ. ४७ पौर उसके मागे के पृष्ठ।) बैंक सम्बंधी कानूनों के बारे में लाम्-सभा की समिति के सामने गवाही देते हुए बैंक माफ़ इंगलैण्ड के एक गवर्नर ने चलन के दौरान में सोने के सिक्कों के पिसने