पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२१

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१८ भूमिका . . , एवं राजनीतिक प्रसंगतियां अनिवार्य रूप से जुड़ी हुई है। हम न केवल बीवित, बल्कि मृत चीजों से भी पीड़ित हैं। Le mort salsit le vifl (मुर्दे सिदों के लिये बोसा बने हुए हैं।) इंगलैग की तुलना में जर्मनी और बाकी पश्चिमी योरप में सामाजिक प्रांकड़े बहुत ही बराव उंग से इकट्ठा किये जाते हैं। लेकिन बेनकाब को इतना सर उठा देते है कि उसके पीछे छिपे हुए मेदूसा के चौफनाक चेहरे की हमें एक झलक पर मिल जाती है। यदि इंगलग की तरह हमारी सरकारें और संसवें भी समय-समय पर पार्षिक हालत की जांच करने के लिये पायोग नियुक्त करती, परि सत्य का पता लगाने के लिये इन पायोगों के हाथ में भी उतने ही पूर्ण अधिकार होते और यदि इस काम के लिये हमारे देशों में भी इंगलैण के फ्रेक्टरी-स्पेक्टरों, सार्वजनिक स्वास्थ्य की गक्टरी रिपोर्ट तैयार करने वाले कर्मचारियों और स्त्रियों तथा बच्चों के शोषण और घरों तवा नाच-पदावों की स्थिति की जांच करने वाले पायोगों के सदस्यों से योग्य और पक्षपात तथा व्यक्तियों का बवाल करने की भावना से मुक्त लोगों को पाना सम्भव होता, तो हम अपने घर की हालत देखकर भयभीत हो उन्ते। पर्सियस ने एक बापू की टोपी मोड़ ली थी, ताकि वह जिन दानवों का शिकार करने के लिये निकला था, उसे देख न पावें। हमने अपनी प्रतिं और कान नाडू की टोपी से इसलिये डंक लिये हैं कि हम यह सोचकर अपना दिल खुश कर सकें कि दुनिया में रानव है ही नहीं। इस मामले में अपने को पोसा नहीं देना चाहिये। जिस प्रकार मारहवीं सदी में अमरीका के स्वातंत्र्य-पुट ने मध्य वर्ग को जागृत करने के लिये घंटा बनाया था, उसी प्रकार उन्नीसवीं सबी में अमरीका के गृह-मुख ने योरप के मजूर-वर्ग के जागरण का पडा बनाया है। इंगलंग में सामाजिक इन्तजार को बढ़ते हुए कोई भी देख सकता है। अब वह एक खास बिनु पर पहुंच जायेगा, तो उसकी योपीय महाद्वीप में अनिवार्य रूप से प्रतिषिया होगी। वहां खुद मयूस्वर्ग के विकास के अनुसार यह इन्तसार अधिक.पाशविक या अधिक मानवीय रूप धारण करेगा। इसलिके, अधिक अंचे हेक्यों को यदि अलग रख दिया जाये, तो भी इस समय वो वर्ग शासक वर्ग है, उनके अपने पति-महत्वपूर्ण स्वार्थ यह तकासा कर रहे है कि मजदूर वर्ग के स्वतंत्र विकास के रास्ते से कानूनी ढंग से जितनी रुकावटें हटायी जा सकती है, फौरन हटा दी गायें। इस तवा अन्य कारणों से भी मैंने इस पंच में इंगम के पटरी-कानूनों के इतिहास, उनके विस्तृत वर्णन तवा उनके परिणामों को इतना अधिक स्थान दिया है। हरेक क्रौन दूसरी क्रोमों से सील सकती है और उसे सीखना चाहिये। और जब कोई समाज अपनी गति के स्वाभाविक नियमों का पता लगाने के लिये सही रास्ते पर चल पड़ता है, और इस रचना का अन्तिम उद्देश्य प्राधुनिक समान की गति के पार्षिक नियम को खोलकर रख देना ही है,-तब भी अपने साधारण विकास की उत्तरोतर अवस्थामों में सामने पाने वाली सकावटों को बहन तो हिम्मत के साथ छलांग मारकर पार कर सकता है और न ही कानून बनाकर उन्हें रास्ते से हटा सकता है। लेकिन यह प्रसव की पीड़ा को कम कर सकता है और उसकी अवधिको छोटा कर सकता है। एक सम्भव गलतफहमी से बचने के लिये दो शब कह दिये जायें। मैंने पूंजीपति और बनीवार को बहुत सुहावने रंगों में कदापि चित्रित नहीं किया है। लेकिन यहां व्यक्तियों की पर्चा केवल उसी हब तक की गयी है, जिस हर तक कि वे किन्हीं प्रार्षिक पारिभाषिक शब्दों के साकार प या किन्हीं जासवर्गीय सम्बंधों और वर्गीय हितों के मूर्त रूप बन गये हैं। मेरे दृष्टिकोण के अनुसार, समाज की पार्षिक गन का विकास प्राकृतिक इतिहास की एक प्रक्रिया . .