पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२१५

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२१२ पूंजीवादी उत्पादन , . U माइये, अब हम उत्पादन पर मूल्य पैदा करने की प्रकिया केस में विचार करें। हम जानते हैं कि हरेक माल का मूल्य उसपर खर्च किये गये तथा उसमें मूर्त होने पाले बम की मात्रा से निर्धारित होता है, या यूं कहिये कि कुछ निश्चित सामाजिक परिस्थितियों में प्रत्येक माल के उत्पादन के लिए जितना मन-काल पावश्यक होता है, उती से उसका मूल्य निर्धारित होता है। पूंजीपति के लिए बो भन-प्रक्रिया सम्पन्न की गयी है, उससे उसको बो पैदावार मिलती है, उसपर भी यही नियम लागू होता है। मान लीजिये कि यह पैदावार है १० पौण सूत । अब हमारा पहला कदम यह होना चाहिए कि हम हिसाब लगाकर देले कि उसमें बम की कितनी मात्रा लगी है। सूत कातने के लिए कच्चा माल बरी होता है। मान लीजिये कि इसके लिए १० पौण कपास की बहरत होती है। फिलहाल हमें इस कपास के मूल्य की छानबीन करने की कोई मावश्यकता नहीं है, क्योंकि हम यह मानकर चलेंगे कि हमारे पूंजीपति ने कपास उसका पूरा मूल्य-पानी बस शिलिंग-देकर खरीदी है। इस बाम में कपास के उत्पादन के लिए पावश्यक भम ने समाज के प्रासत मन केस में पहले ही से अभिव्यक्ति प्राप्त कर ली है। इसके अलावा, हम यह भी मानकर चलेंगे कि तकुए की घिसाई, जिसे यहां पर मन के अन्य तमाम पौधारों का प्रतिनिधि माना जा सकता है, २ शिलिंग के मूल्य के बराबर बैठती है। तब यदि बारह शिलिंग सोने की जितनी मात्रा का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसे पैदा करने में मम के चौबीस घण्टे-या काम के दो दिन-लग जाते है, तो इससे सर्वप्रथम हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि सूत में दो दिन का मम समाविष्ट है। हमको इस बात से गलतफहमी में नहीं पड़ जाना चाहिए कि कपास ने जहाँ एक नयी शकल पत्तियार कर ली है, यहाँ तकुए काव्य किसी हद तक खर्च हो गया है। मूल्य सामान्य नियम के अनुसार, यदि ४० पौष सूत का मूल्य-४० पौण्ड कपास का मूल्य+ पूरे एक तकुए का मूल्य, अर्थात् परि इस समीकरण के दोनों प्रोर के मालों को पैदा करने में बराबर मम-काल लगता है, तो १० पौड सूत १० पौर कपास और उसके साथ-साथ चौबाई तकुए का सम-मूल्य होता है। हमने बो उदाहरण लिया है, उसमें एक ओर तो १० पौड सूत में और दूसरी पोर १० पौड कपास तवा तकुए के एक अंश में बराबरबराबर मम-काल ने भौतिक प धारण किया है। इसलिए मूल्य चाहे कपास के रूप में प्रकट हो, चाहे तकुए के रूप में और चाहे सूत के रूप में, उससे उस मूल्य की मात्रा में कोई अन्तर नहीं पाता। तकुमा और कपास चुपचाप सागसाब पड़े रहने के बजाय मम-प्रक्रिया में मिलकर भाग लेते हैं, उनके म परिवर्तित हो जाते हैं और वे सूत में बदल जाते हैं। लेकिन जैसे कपास और तकुए का पूत के साथ साधारण विनिमय करने से उनके मूल्य पर कोई असर नहीं पड़ता, उसी तरह मम-प्रक्रिया द्वारा उनके सूत में रूपान्तरित हो जाने से भी उनके मूल्य पर कोई असर नहीं पड़ता। कपास सूत का कच्चा माल है। उसके उत्पादन के लिए पावश्यक मम सूत को पैदा करने के लिए प्रावश्यक मम का एक भाग होता है, और इसलिए वह सूत में निहित होता है। कुए में निहित मन के लिए भी यह बात सही है, क्योंकि उसके पिसे बिना कपास काती नहीं जा सकती। इसलिए, सूत का मूल्य निर्धारित करते हुए, या सूत के उत्पादन के लिए प्रावश्यक मम- कान निर्धारित करते हुए, हमें पहले कपास और कुए का पिता हुमा हिस्सा पैदा करने के .