पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२१८

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श्रम-प्रक्रिया और अतिरिक्त मूल्य पैदा करने की प्रक्रिया २१५ , . है। लेकिन अब पैदावार, पानी सूत, कपास द्वारा अवशोषित मन के मापक से अधिक और कुछ नहीं है। यदि एक घण्टे में पौड कपासको कातकर पौड सूत तैयार किया जा सकता है, तो १० पौड सूत. का मतलब है कि ६ घण्टे के बम का अवशोषण हमा है। पैदावार को निश्चित मात्राएं-और ये मात्राएं अनुभव से निर्धारित की जाती है-अब मम की निश्चित मात्रामों के सिवा, स्फटिकीकृत अम-काल की निश्चित राशियों के सिवा, अन्य किसी चीज का प्रतिनिधित्व नहीं करती। ये इतने घन्टे या इतने दिन के सामाजिक मम के मूर्त रूप से प्रषिक और कुछ नहीं होती। जिस तरह यहां हमारा इस तथ्य से कोई बास सम्बंध नहीं है कि हमारे उदाहरण में किया को विषय-वस्तु खुब एक पैदावार है और इसलिए कच्चा माल है, उसी तरह हमारा इन तन्यों से भी यहां कोई खास सम्बंध नहीं है कि इस उदाहरण में श्रम का म कताई का खास काम है, उसकी विषय-वस्तु कपास है और उसकी पैदावार सूत है। यदि कातने वाला कताई करने के बजाय कोयले की सान में काम करता होता, तो उसके भम की विषय-वस्तु- कोयला- उसे प्रकृति से मिल जाती। फिर भी सान में से निकाले हुए कोयले की एक निश्चित मात्रा-मिसाल के लिए, एक हग्वेट - उसमें अवशोषित श्रम की एक निश्चित मात्रा का ही प्रतिनिधित्व करती। जब अम-शक्ति की बिक्री हुई थी, तब हमने यह माना था कि एक दिन की श्रम-शाक्ति का मूल्य तीन शिलिंग है और तीन शिलिंग की रकम में ६ घन्टे का श्रम निहित होता है, प्रतः मजदूर को जीवन के लिए प्रावश्यक वस्तुमों की प्रोसतन जितनी मात्रा की हर रोज जरूरत होती है, उनको पैदा करने के लिए ६ घन्टे का मम मावश्यक होता है। अब यदि हमारा कातने वाला एक घण्टे तक काम करके १२ पौष कपास को १२ पौष्ठ सूत में बदल सकता है, तो वह छ: घन्टे में १० पौण कपास को १० पौण सूत में बदल देगा। इस कपास कताई की प्रक्रिया के दौरान में छ: घन्टे के मम का अवशोषण कर लेती है। इतनी ही मात्रा का मम तीन शिलिंग के मूल्य के सोने के टुकड़े में भी निहित होता है। चुनांचे केवल कताई के भम के द्वारा कपास में तीन शिलिंग का मूल्य र जाता है। अव पाइये, हम पैदावार के-यानी १० पौण सूत के-कुल मूल्य पर विचार करें। उसमें डाई दिन का श्रम लगा है, जिसमें से दो दिन का श्रम कपास और तकुए के घिसने वाले अंश में निहित वा और भाषे दिन के मम का कताई की प्रपिया के दौरान में कपास ने अवशोषण कर लिया है। पन्द्रह शिलिंग के मूल्य का सोने का दुकड़ा भी इस ढाई दिन के श्रम का प्रतिनिधित्व करता है। चुनांचे, १० पौण सूत के लिए पनाह शिलिंग पर्याप्त वाम है, या यूं कहिये कि एक पौस सूत का सही दाम प्रारह पेंस है। पर यह सुनकर हमारा पूंजीपति तो अचम्भे में पड़ जाता है। जितने मूल्य की पूंजी लगायी गयी थी, लीक उतने ही मूल्य की पैदावार हुई। उसमें वो मूल्य लगाया था, वह बड़ा नहीं, अतिरिक्त मूल्य नहीं पैरा हुमा, और पुनर्वाचे मुद्रा पूंजी में नहीं बदली गयी। सूत का वाम पन्द्रह शिलिंग है, और पनाह शिलिंग ही खुली मन्जी में पैदावार के संघटक तत्वों . . 1ये संख्याएं हमने अपने मन से मान ली है।