पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२४

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दूसरे जर्मन संस्करण का परिशिष्ट २१ . - समय पर हो जाने वाली भूलों से साफ करना मावश्यक है। लेकिन इसके लिये समय नहीं पा। कारण कि पहले संस्करण के खत्म होने और दूसरे संस्करण की छपाई के जनवरी १८७२ में प्रारम्भ होने की सूचना मुझे १८७१ के शरब में मिली। तब में दूसरे सहरी कामों में फंसा हमा था।

  • Das Kapital" ("पूंजी') को जर्मन मजदूर वर्ग के व्यापक क्षेत्रों में जितनी

जल्दी पावर प्राप्त हुमा, वही मेरी मेहनत का सबसे बड़ा इनाम है। पार्षिक मामलों में पूंजीवादी दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करने वाले वियेना के एक कारखानेदार हेर मायेर ने फ्रांसीसी-बर्मन युद्ध के दौरान में प्रकाशित एक पुस्तिका में इस विचार का बहुत ठीक-ठीक प्रतिपादन किया था कि संसान्तिक विचार-विनिमय करने की महान क्षमता, जो जर्मन लोगों की पुश्तैनी सम्पत्ति समझी जाती थी, अब जर्मनी के शिक्षित कहलाने वाले वर्गों में लगभग पूर्णतया गायब हो गयी है, किन्तु, इसके विपरीत, जर्मन मखदूर-वर्ग में वह क्षमता अपने पुनरुत्थान का उत्सव मना रही है। जर्मनी में इस समय तक अर्थशास्त्र एक विदेशी विज्ञान जैसा था। गुस्ताब फोन गुलीह ने अपनी पुस्तक 'व्यापार और उद्योग का ऐतिहासिक वन' इत्यादि में और खासकर उसके १८३० में प्रकाशित पहले दो सगों में उन ऐतिहासिक परिस्थितियों पर विस्तारपूर्वक विचार किया है, जो जर्मनी में उत्पादन की पूंजीवादी प्रणाली के विकास में बाधक हुई और इसलिये जिनके कारण उस देश में माधुनिक पूंजीवादी समाज का विकास नहीं हो पाया। इस प्रकार, वहां वह मिट्टी ही नहीं थी, जिसमें प्रशास्त्र का पौषा उगता है। इस विज्ञान को बने-बनाये तैयार माल के रूप में इंगलैग और फ्रांस से मंगाना पड़ा, और उसके गर्मन प्रोफेसर स्कूली लड़के बनकर रह गये। उनके हापों में विदेशी वास्तविकता की संडान्तिक अभिव्यक्ति कठमुल्लों के सूत्रों का संग्रह बन गयी, जिनकी व्याख्या के अपने इर्द-गिर्द की दुट-पुनिया दुनिया के रंग में रंगकर करते थे इसीलिये उनकी ये गलत व्याख्या करते थे। वैज्ञानिक नपुंसकता को बहुत बवाने पर भी पूरी तरह कभी नहीं बवती, और यह परेशान करने वाला अहसास कि हम एक ऐसे विषय में हाप लगा रहे हैं, वो हमारे लिये वास्तव में एक पराया विषय है,-इनको या तो साहित्यिक एवं ऐतिहासिक पारित्य-प्रदर्शन के नीचे छिपा दिया जाता था, या इनपर तपाकषित "कामेराल" विमानों-अर्थात् अनेक विषयों की उस पंचमेल, सतही पौर अपूर्ण जानकारी-से उधार मांगकर लायी हुई कुछ बाहरी सामग्री का पर्वा गल दिया जाता था, जिसकी वैतरणी को जर्मन नौकरशाही का सदस्य बनने की इच्छा रखने वाले हर निराश उम्मीदवार को पार करना पड़ता है। लेकिन इस तरह भी यह भावना और यह महसास पूरी तरह नहीं छिप पाते थे। १८४८ से जर्मनी में पूंजीवादी उत्पादन का बहुत तेजी से विकास हुमा है, और इस बात तो यह सट्टेबाची और पोलेपड़ी के रूप में पूरी जवानी पर है। लेकिन हमारे पेशेवर प्रशास्त्रियों पर भाग्य ने अब भी या नहीं की है। जिस समय वे लोग अर्थशास्त्र का वस्तुगत अध्ययन कर सकते थे, उस समय जर्मनी में प्राधुनिक प्रार्षिक परिस्थितियां वास्तव में मौजूद नहीं पी। और जब ये परिस्थितियां वहां पैदा हुई, तो ऐसी हालत में कि पूंजीवादी मितिम की भावना, . , Geschichtliche Darstellung des Handels, der Gewerbe und des Ackerbaus, & C., von Gustav von Gülich. 5 vols., Jena. 1830-45.