पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३९६

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श्रम का विभाजन पौर हस्तनिर्माण . - बोतलों को सुखाने वाली भट्ठी में से निकालने, छांटने और पैक करने पावि की अन्तिम अवस्था में भी-तफसीली काम करने वाले बहुत से मजदूरों से काम लिया जाता है। इन दोनों अवस्थामों के बीच में वह अवस्था माती है, जिसे सचमुच कांच को गलाने की अवस्था का नाम दिया जा सकता है और जिसमें उस तरल राशि से बोतलें बनायी जाती है। भट्ठी के हर मुंह पर एक बल काम करता है, जिसे "hole ("सूराख") कहते हैं। उसमें एक bottle maker (बोतल बनानेवाला) या finisher (क्रिनिश करनेवाला) होता है, एक blower (फुलानेवाला), एक gatherer (इकट्ठा करनेवाला), एक putter up (रखनेवाला) या whetter off (घिसनेवाला) और एक taker in (ले जानेवाला) होता है। तफ़सीली काम करने वाले ये पांच मजदूर एक ऐसे कार्यरत संघटन की पांच विशेष इन्द्रियों के समान होते हैं, जो केवल एक इकाई के रूप में ही काम करता है और इसलिये जो केवल पांचों प्रादमियों के प्रत्यक्ष सहकार द्वारा ही कार्य कर सकता है। उसका यदि एक भी सदस्य अनुपस्थित हो, तो पूरे संघटन को जैसे लकवा मार जाता है। किन्तु कांच की एक भट्ठी के कई मुंह होते हैं (इंगलड में एक भट्ठी के ४ से ६ मुंह तक होते हैं), जिनमें से हरेक में कांच गलाने का एक मिट्टी का बर्तन होता है, जिसमें गला हुमा कांच भरा रहता है, और हरेफ मुंह पर इसी प्रकार का पांच मजदूरों का एक बल काम करता है। प्रत्येक बल का संगठन श्रम-विभाजन पर पाषारित होता है, मगर अलग-अलग बलों के बीच सरल सहकारिता का सम्बंध होता है। यह सहकारिता भट्ठी नामक उत्पादन के एक साधन के सामूहिक उपयोग द्वारा उसका अधिक मितव्ययितापूर्ण उपयोग कराती है। इस प्रकार की एक भट्ठी, मय अपने ४-६ बलों के, एक कांच-घर कहलाती है, और कांच की एक हस्तनिर्माणशाला में ऐसे कई कांच-घर और प्रारम्भिक तथा अन्तिम अवस्थामों के लिये पावश्यक उपकरण तथा मजबूर होते हैं। अन्त में, जिस प्रकार हस्तनिर्माण कुछ हद तक विविध प्रकार की बस्तकारियों के एक में मिल जाने से शुरू होता है, इसी प्रकार वह विकसित होकर विविध प्रकार के हस्तनिर्माणों के योग में भी बदल जाता है। उदाहरण के लिये, इंगलैण के अपेक्षाकृत बड़े पैमाने पर कांच का हस्तनिर्माण करने वाले कांच गलाने के मिट्टी के बर्तन अपने लिये खुद तैयार करते हैं, क्योंकि कांच बनाने की क्रिया में उनकी सफलता या असफलता बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि ये बर्तन कितने अच्छे हैं। यहाँ उत्पादन के एक साधन का हस्तनिर्माण भी पैदावार के हस्तनिर्माण के साथ जुड़ जाता है। दूसरी ओर, पैदावार का हस्तनिर्माण कुछ ऐसे अन्य हस्तनिर्माणों के साथ जोड़ा जा सकता है, जिनके लिये यह पैदावार कच्चे माल का काम करती है, या जिनकी पैदावार के साथ खुद इस पैदावार को बाद में मिला दिया जाता है। इस प्रकार हम पाते हैं कि सीस-कांच का हस्तनिर्माण कांच काटने तथा पीतल डालने के हस्तनिर्माण के साप जोड़ दिया जाता है,- पीतल डालने के साथ इसलिये कि कांच की बनी विभिन्न वस्तुओं के लिये पातु के चोलटों की पावश्यकता होती है। इस तरह जो विभिन्न प्रकार के हस्तनिर्माण एक दूसरे के साथ जोड़ दिये जाते हैं, वे एक अपेक्षाकृत बड़े हस्तनिर्माण के कमोवेश अलग-अलग विभाग बन जाते हैं, परन्तु साथ ही वे स्वतन्त्र नियायें रहते हैं, जिनमें से हरेक का अपना अलग ढंग का मम-विभाजन होता है। हस्तनिर्माणों के इस प्रकार के योग से जो बहुत तरह का लाभ होता है, उसके बावजूद यह चीन र अपनी बुनियाद पर विकसित होकर एक पूर्ण प्राविधिक व्यवस्था कभी नहीं बन पाती। यह केवल तभी होता है, जब वह मशीनों से चलने वाले उद्योग में परिणत हो जाती है। . . .