४१० पूंजीवादी उत्पादन 11 यानी जनता के अधिकतर भाग को, अनिवार्य रूप से इसी अवस्था को पहुंच जाना पड़ता है। सम-विभाजन के कारण जन-साधारण पूर्व पतन के गर्त में गिर जायें, इसके लिये ऐग्म स्मिथ की सलाह है कि राज्य को जनता की शिक्षा का प्रबंध करना चाहिये, परन्तु सोच- समझकर और बहुत ही सूक्म प्रमात्रामों में। ऐग्न स्लिप के फांसीसी अनुवादक तवा टीकाकार पी. गार्नियर ने, जो पहले फ्रांसीसी साम्राज्य के काल बड़े स्वाभाविक ढंग से सेनेटर बन गये , इस मामले में उतने ही स्वाभाविक ढंग से ऐग्न स्मिथ का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि जनता को शिक्षा देने से मन-विभाजन के पहले नियम का प्रतिगमन होता है, और यदि ऐसा हमा, तो "हमारी पूरी समान-व्यवस्था गड़बड़ा जायेगी।" उनका कहना है कि 'मन के अन्य सभी विभावनों की तरह हाप के बम और विमान के मम का विभाजन भी उसी अनुपात में अधिक स्पष्ट और निर्णायक प धारण करता जाता है, जिस अनुपात में समान (गार्नियर ने पूंची, भू-सम्पत्ति तथा उनके राज्य के लिये इस शब का प्रयोग किया है, वो ठीक ही है) अधिक धनी होता जाता है। श्रम का यह विभाजन अन्य किसी भी विभाजन की तरह भूत-काल का प्रभाव और भावी प्रगति का कारण होता है . सरकार को इस मम-विमानन के विरोध में काम करना और उसके स्वाभाविक विकास को रोकना चाहिये? क्या सरकार को सार्वजनिक मुद्रा का एक भाग मम के दो ऐसे वर्गों को, जिनकी प्रवृत्ति विभाजन और अलगाव की है, सबस्ती मापस में गह-मह कर देने पर मिलाकर रखने की कोशिश में कर देना चाहिये?". शारीर और मस्तिष्क का कुछ हद तक सुंग हो जाना तो पूरे समाज में होने वाले श्रम-विभाजन में भी अनिवार्य है। लेकिन हस्तनिर्माण कि मन की शाखामों के इस सामाजिक अलगाव को कही त्यावार तक ले जाता है और इसके अलावा कि अपने खास तरह के भम-विभाजन के द्वारा यह व्यक्ति के जीवन की बड़ों पर प्रहार करता है, इसलिये यह पहला श्रम-विभाजन . . A. Smith, "Wealth of Nations" (ऐडम स्मिथ, 'राष्ट्रों का धन'), पुस्तक ५ मध्याय १, लेब २। ऐडम स्मिय चूंकि ए. फर्गुसन के शिष्य थे, जिन्होंने श्रम-विभाजन से पैदा होने वाली बुराइयों पर प्रकाश गला था, इसलिये इस सवाल पर उनका दिमाग बिल्कुल साफ़ था। अपनी पुस्तक की भूमिका में, जहां उन्होंने श्रम-विभाजन की ex professo (बहुत होशियारी से) प्रशंसा की है, उन्होंने इस बात की भोर महज सरसरी ढंग से इशारा किया है कि श्रम-विभाजन से सामाजिक असमानताएं पैदा हो जाती है। और ५ वीं पुस्तक के पहले, जिसका विषय राज्य की पाय है, उन्होंने इस विषय के सम्बंध में फर्गुसन को कहीं उद्धृत नहीं किया है। मैंने अपनी रचना "Misere de la Philosophie' ('दर्शन की. दरिद्रता') में इस बात पर पर्याप्त प्रकाश गला है कि फर्गुसन , ऐ० स्मिथ, लेमोन्ते पौर से की श्रम-विभाजन सम्बन्धी मालोचनामों के बीच क्या ऐतिहासिक सम्बंध है, और पहली बार यह प्रमाणित किया है कि हस्तनिर्माण में जिस प्रकार का श्रम-विभाजन होता है, वह उत्पादन की पूंजीवादी प्रणाली का एक विशिष्ट रूप है। 'फर्गुसन ने उप० पु०, पृ. २८१,में पहले ही यह कह दिया था कि "और अलगावों के इस युग में चिन्तन खुद एक खास धंधा बन सकता है। .G. Garnier, ऐडम स्मिथ की पुस्तक के उनके अनुवाद का बण्ड ५, पृ. ४-५। "