पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४१७

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४१४ पूंजीवादी उत्पादन यदि ये लेखक कभी-कभार पैराबार की मात्रा में होने वाली वृद्धि का विक करते भी है, तो केवल इस संदर्भ में कि उपयोग-मूल्यों की पहले से अधिक बहुतायत हो जाती है। विनिमय- मूल्य अथवा मालों के पहले से सस्ते हो जाने के बारे में उनकी रचनाओं में एक शब भी नहीं मिलता। प्लेटोचो कि सम-विभाजन को बह नींव समझते हैं, जिसपर समाज का वर्गों में . पेलेपोनीशियन युद्ध के लिये भड़काते हुए जो भाषण दिया था, उसके दौरान में प्यूसिडिटीज ने उससे यह भी कहलवाया है कि "otuart attombrsponal adrooprol niv avepthrov Exphuan cousin ("जो लोग अपने उपभोग के लिये बु.द वस्तुएं बनाते है, वे युद्ध के समय अपनी सम्पत्ति की अपेक्षा अपनी जान ज्यादा मासानी से जोखिम में डालने को तैयार हो जाते हैं") (प्यूसिडिटीज , भाग १, प्रध्याय ४१)। फिर भी भौतिक उत्पादन के मामले में भी एथेन्सवासियों का प्रादर्श atraoneta (मात्मनिर्भरता) था, न कि श्रम-विभाजन : "mpv rprd, sb, aapd sobreveals atropras" ("सामान और स्वतन्त्रता का एक ही स्रोत है")। यहां यह बता देना जरूरी है कि ३० अत्याचारियों के पतन के समय भी एपेन्स में ५,००० ऐसे मादमी नहीं थे, जिनके पास कोई भू-सम्पत्ति न हो। प्लेटो की राय में समाज में श्रम-विभाजन इसलिये होता है कि हर व्यक्ति की मावश्य- कताएं तो बहुत सी, पर उनकी क्षमताएं बहुत सीमित होती है। उनका मुख्य जोर इस बात पर है कि काम को मजदूर के अनुसार ढालना गलत है, मजदूर को काम के अनुसार अपने को डालना चाहिये। पर यदि मजदूर एक समय में कई धंधे करेगा, तो उनमें से एक न एक धंधा गौण हो जायेगा और तब लाजिमी तौर पर काम को मजदूर के अनुसार डालने की कोशिश की जायेगी। "OD rip sotha sd sparrbusvov viv 100 sparrowros Poktv nepatvery, ha aváyum dyrpartova #partopévy trascolopdelv un évnaplp-you utpek- Avdyum-"E« Sh TOOTV Rhea r tracta yiyetar mal madanov nad ptov, Stav els év Radobnv natevampo Koirnoramaavarav, sperm ["कारण, काम इस बात का इन्तजार नहीं करेगा कि काम करने वाले को फुरसत मिले, तो वह उसमें हाथ लगाये। यह तो काम करने वाले का फर्ज है कि वह जो कुछ कर रहा है, उसका अनुकरण करे और काम को अपना प्रथम उद्देश्य समझे। - उसे यही करना चाहिये। -और यदि ऐसा है, तो हमें इससे यह निष्कर्ष निकालना चाहिये कि जब एक पादमी केवल वह काम करता है, जो उसके लिये स्वाभाविक है, और उसे सही वक्त पर करता है तथा बाकी कामों को पौरों के लिये छोड़ देता है, तब सब चीजें ज्यादा बहुतायत से, ज्यादा प्रासानी से और बेहतर तैयार होती है।"] ("De Republica" ['प्रजातंत्र'], बण्ड १, Balter, Orelli, etc. का दूसरा संस्करण।) इसी प्रकार प्यूसिडिटीज (उप. पु., प्रध्याय १४२) ने भी लिखा है कि 'अन्य किसी भी धंधे की तरह जहाजरानी भी एक धंधा है, और उसे परिस्थितियों की पावश्यकतानुसार एक गौण धंधे के रूप में कोई नहीं कर सकता। नहीं, बल्कि कहना चाहिये कि इस धंधे के साथ अन्य गौण धंधे नहीं किये जा सकते।" प्लेटो का कहना है कि यदि काम को मजदूर का इन्तजार करना पड़ता है, तो क्रिया का नाषक क्षण हाप से निकल जाता है और वस्तु बराब हो जाती है, "iroo mpbr asaaora ("काम का फल बरवाद हो जायेगा")। इंगलैण्ड कपड़े सफेद करने के कारखानों के मालिक सभी मजदूरों के लिये भोजन का एक समय निश्चित करने वाली फैक्टरी कानून की धारा का जो विरोध कर रहे