पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४७६

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मशीनें और माधुनिक उद्योग ४७३ अनुभाग ४- -फैक्टरी इस अध्याय के शुरू में हमने उस बीच का अध्ययन किया था, जिसे हम फैक्टरी का शारीर कह सकते हैं, अर्थात् वहां हमने एक संहति में संगठित मशीनों का अध्ययन किया था। यहाँ हमने देखा था कि मशीनें स्त्रियों और बच्चों के मम पर अधिकार करके किस प्रकार उन . निर्यातित मूल्य, निर्यातित मूल्य, निर्यातित मूल्य, | निर्यातित मूल्य, १८५१ १८६० १८४८ १८६५ कपास पाण्ड सूत कपड़ा पौण्ड ६६,३४,०२६ २,३४,५४,८१० ५९,२७,८३१ १,६७,५३,३६६ पौण्ड ९८,७०,८७५ ४,२१,४१,५०५ . पौण्ड १,०३,५१,०४६ ४,६६,०३,७६६ प्लेक्स और सन धागा. कपड़ा ४,९३,४४९ २८,०२,७८६ ९,५१,४२६ ४१,०७,३६६ १८,०१,२७२ ४८,०४,८०३ २५,०५,४६७ ६१,५५,३१८ रेशम धागा. . १,९५,३८० ११,३०,३९८ ६,१८,३४२ १५,८७,३०३ ७,६८,०६७ १४,०६,२२१ कपड़ा ७७,७८९ धागा. ७,७६,९७५ ५७,३३,५२८ १४,८४,५४४ ८३,७७,१८३ ३८,४३,४५० १,२१,५६,९९८ ५४,२४,०१७ २,०१,०२,२५६ कपड़ा . .. ये सरकारी प्रकाशन देखिये : “Statistical Abstract of the United Kingdom" ("ब्रिटेन का सांख्यिकीय संक्षेप'), अंक और १३ , London, 1861 और 1866 । लंकाशायर में मिलों की संख्या में १८३९ और १८५० के बीच केवल ४ प्रतिशत की, १९५० और १८५६ के बीच १९ प्रतिशत की और १८५६ तथा १८६२ के बीच ३३ प्रतिशत की वृद्धि हुई, जब कि ग्यारह-ग्यारह वर्ष के इन दोनों कालों में से प्रत्येक में मजदूरों की संख्या निरपेक्ष दृष्टि से तो बढ़ गयी, मगर सापेक्ष दृष्टि से घट गयी। (देखिये "Rep. of Insp. of Fact., for 31st Oct., 1862" [ फैक्टरियों के इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट, ३१ अक्तूबर १८६२'], पृ० ६३।) लंकाशापर में सूती धंधे का जोर है। इस डिस्ट्रिक्ट में सूती धंधे का भाकार कितना विशाल है, इसका कुछ प्राभास हमें इस बात से मिल सकता है कि ब्रिटेन में कपड़े की कुल जितनी फैक्टरियां है, उनका ४५.२ प्रतिशत भाग, तकुमों का ८३.३ प्रतिशत भाग, शक्ति से चलने वाले करवों का ८१.४ प्रतिशत भाग, यांत्रिक प्रश्व-शक्ति का ७२.६ प्रतिशत भाग पौर कपड़े के धंधे में काम करने वाले तमाम मजदूरों का ५८.२ प्रतिशत भाग यहां केन्द्रित है। (उप० पु., पृ० ६२-६३) .