पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४९३

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४९. पूंजीवादी उत्पादन को इस हद तक खुद अपना नियमन कर लेता है कि एक बच्चा भी उसकी देखरेख का काम कर सकता है। "1"स्वचालित प्रणाली चालू होने पर निपुण श्रम अधिकाधिक स्थान-प्युत होता जाता है। ""मशीनों में जो सुधार होते हैं, उनका केवल यही असर नहीं होता कि एक खास तरह की पैदावार तैयार करने के लिये वयस्क श्रम की पहले जितनी मात्रा से काम लेने की मावश्यकता नहीं रहती, बल्कि उसका यह असर भी होता है कि एक प्रकार के मानव-वन के स्थान पर दूसरे प्रकार के मानव-श्रम से-अधिक निपुण श्रम के स्थान पर कम निपुण मम से, वयस्क मम के स्थान पर बच्चों के मन से, पुरुषों के स्थान पर स्त्रियों के मम से-काम लिया जाने लगता है। और इस सब का यह नतीचा होता है कि मजदूरी की बर में नयी गड़बड़ पैदा हो जाती है। 'साधारण म्यूल के स्थान पर स्वचालित म्यूल लगा देने का असर यह होता है कि कताई करने वाले अधिकतर पुरुषों को जवाब दे दिया जाता है और लड़के-लड़कियों तबावन्नों को बरकरार रखा जाता है।""जब काम का दिन पहले से छोटा कर दिया गया था, तब उसके रवार के फलस्वरूप पटरी व्यवस्था ने जिन वामन-गों से प्रगति की पी, उनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि संचित न्यावहारिक अनुभव, तैयार यांत्रिक साधनों और अनवरत प्राविधिक प्रगति के कारण फेक्टरी-व्यवस्था का कैसे असाधारण बेग से विस्तार होने लगता है। परन्तु १८६० में भी, बो कि इंगलैड के सूती उद्योग के परमोत्कर्ष का वर्ष वा, कौन यह कल्पना कर सकता था कि अगले तीन साल में अमरीकी गृह-युद्ध का अंकुश लगने के फलस्वरूप मशीनों में इस तुकानी गति से सुधार होंगे और उनके परिणामस्वरूप मजदूरों की बहुत बड़ी संख्या को काम से जवाब मिल जायेगा? इस विषय के सम्बंध में फैक्टरियों के इंस्पेक्टरों की रिपोर्टों से कुछ उदाहरण दे देना पर्याप्त होगा। मानचेस्टर के एक कारखानेदार ने कहा है: "हमारे पास पहले भुनने की ७५ मशीनें घों, अब १२ हैं, जो पहले जितना ही काम करती है...अब हम पहले . +Ure, उप० पु०, पृ० १६। "इंटें बनाने में जो मशीनें इस्तेमाल की जाती है, उनका यह बहुत बड़ा लाभ होता है कि मालिक निपुण मजदूरों से पूर्णतया स्वतंत्र हो जाता है।" ("Ch. Empl. Comm. V Report" ['arereartera urut Rataff foute'], Lon- don, 1866, पृ० १३० , अंक ४६ ।) Great Northern Railway के मशीन विभाग के मधीक्षक , मि० स्टुरोंक ने रेल के इंजन प्रादि के निर्माण के बारे में कहा है : “दिन प्रति दिन महंगे (expensive) अंग्रेज मजदूरों को अधिकाधिक कम इस्तेमाल किया जा रहा है। इंगलैण्ड की बर्कशापों में पहले से बेहतर प्रौजारों के इस्तेमाल के जरिये उत्पादन बढ़ाया जा रहा है, और इन पाजारों के लिये निम्न कोटि के श्रम (a low class of labour) की भाव- श्यकता होती है पहले इंजनों के सभी पुर्ने पनिवार्य रूप से मजदूरों के निपुण श्रम द्वारा तैयार किये जाते थे। अब इंजनों के पूर्व कम निपुण श्रम से तैयार हो जाते है, पर मौजार पच्छे इस्तेमाल किये जाते हैं। मौजारों से मेरा मतलब इंजीनियर की मशीनों, बराद, रंदा करने वाली मशीनों, बरमों और इसी तरह के अन्य यंत्रों से है।" ("Royal Com. on Railways" [' teit motor met stra'], London, 1867, Minutes of Evi. dence [साक्ष्य-विवरण], नोट १७,८६२ पोर १७,२६३।) . Ure, उप० पु०, पृ. २०। 'Ure, उप० पु०, पृ. ३२१ । • Ure, उप: पु०, पृ. २३ ॥