पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/६१५

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६१२ पूंजीवादी उत्पादन दिन को एक सामान्य सीमा के प्रागे जीपने से बम के दाम में होने वाली वृद्धि अनेक बिटिश रयोगों में ऐसा रूप धारण कर लेती है कि तथाकषित सामान्य समय में श्रम का नाम बहुत कम होने के कारण मजदूर को, यदि यह पर्याप्त मजदूरी कमाना चाहता है, मजबूर होकर बेहतर मजदूरी का प्रोवरटाइम काम करना पड़ता है।'बब काम के दिन पर कानून के द्वारा सीमा लगा दी जाती है, तो इन सुविधाओं का अन्त हो जाता है।' 60 . " . 1मिसाल के लिये , स्कोटलण्ड के कपड़ा सफेद करने के कारखानों में यह बात पायी जाती है। "स्कोटलैण्ड के कुछ भागों में यह धंधा" (१८६२ में फैक्टरी-कानून लागू होने के पहले) 'भोवरटाइम की प्रणाली के अनुसार चलाया जाता था; अर्थात् काम का नियमित समय १० घण्टे प्रति दिन था, जिसके लिये १ शिलिंग २ पेन्स प्रति दिन की नाम मात्र की मजदूरी दी जाती थी, और तीन या चार घण्टे का रोजाना प्रोवरटाइम होता था, जिसके लिये ३ पेन्स प्रति घण्टा की दर पर मजदूरी दी जाती थी। इस प्रणाली का नतीजा यह हुमा था कि... कोई प्रादमी साधारण समय तक काम करके ८ शिलिंग प्रति सप्ताह से अधिक नहीं कमा सकता था... बिना भोवरटाइम के इन लोगों के लिये उचित मजदूरी कमाना असम्भव था। (“Rept. of Insp. of Factories. April 30th, 1863" [Maefat poesi रिपोर्ट, ३० अप्रैल १८६३ '], पृ० १०1) "वयस्क पुरुषों को अधिक समय तक काम करने के एवज में अपेक्षाकृत ऊंची दर पर जो मजदूरी मिलती है, उसका मोह इतना प्रबल होता है कि मजदूर उसका संवरण नहीं कर सकते।" ("Rept. of Insp. of Fact. April 30th, 1848" ['फैक्टरी के इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट, ३० अप्रैल १८४८'], पृ० ५।) लन्दन शहर के जिल्दसाजी के व्यवसाय में १४ से १५ वर्ष तक की बहुत सी कम उम्र लड़कियों से काम लिया जाता है, और वह भी ऐसे शर्तनामों के मातहत , जिनमें श्रम के कुछ खास घण्टे निश्चित कर दिये जाते हैं। फिर भी ये लड़कियां हर महीने के अन्तिम दिनों में रात के १०, ११, १२ या १ बजे तक अपने से अधिक उम्र की मजदूरिनों और पुरुषों के साथ मिल- पुलकर काम करती रहती है। “मालिक उनको अतिरिक्त वेतन और रात के भोजन का लालच देकर इसके लिये तैयार कर लेते हैं।" यह रात का भोजन लड़कियां पास के शराबखानों में बाती है। इस तरह जो भयानक दुराचार फैलता है, उसका इन "young immortals" ('अल्पवयस्क अमर पात्मानों") पर (देखिये "Children's Employment Comm., v Rept." ['बाल सेवायोजन पायोग की ५ वीं रिपोर्ट'], पृ. ४, मंक १९१) जो पातक प्रभाव पड़ता है, उसकी कुछ हद तक इस बात से क्षति-पूर्ति हो जाती है कि अन्य पुस्तकों के साथ-साथ इन लड़कियों को बहुत सी बाइबिलों और अन्य धार्मिक पुस्तकों की भी जिल्द बांधनी पड़ती है। 'देखिये "Reports of Insp. of Fact., 30th April, 1863 ('फैक्टरी-इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट, ३० अप्रैल १८६३'), पृ० १०। लन्दन के मकान मादि बनाने का धंधा करने वाले मजदूरों ने परिस्थिति के अत्यन्त यथार्थ ज्ञान का परिचय देते हुए १८६० की बड़ी हड़ताल पौर तालाबन्दी के दौरान में यह ऐलान कर दिया था कि वे घण्टों के हिसाब से केवल दो शों पर मजदूरी स्वीकार करेंगे : (१) यह कि एक घण्टे के काम के दाम के साथ-साथ यह भी से हो जाना चाहिये कि काम का सामान्य दिन ६ मीर १० षष्टे का रहेगा और नौ घण्टे दिन के एक घण्टे के लिये जो मजदूरी दी जायेगी, दस घण्टे के दिन के एक पष्टे के ।