पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/६६८

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अतिरिक्त मूल्य का पूंजी में रूपान्तरण परन्तु मूल पाप हर जगह अपना चमत्कार दिलाता है। जैसे-जैसे पूंजीवादी उत्पादन , संचय और धन का विकास होता जाता है, वैसे-वैसे पूंजीपति केवल पूंजी का अवतार नहीं रह जाता। उसे खुद अपने भीतर के मनुष्य के साथ सहानुभूति होती है और उसको जो शिक्षा मिलती है, है कि धनी बनने की इच्छा का एक तत्व शक्ति का प्रेम भी होता है। लूथर ने लिखा "मूर्ति-पूजकों ने विवेक की सहायता से यह समझ लिया था कि सूदखोर पक्का चोर और हत्यारा होता है। लेकिन हम ईसाई लोग सूदखोरों का इतना प्रादर करते हैं कि उनके पैसे के कारण लगभग उनकी पूजा करने लगते हैं . जो कोई किसी और का पोषण खा जाता है, छीन लेता है और चुरा लेता है, वह (जहां तक उसका बस चलता है) उतनी ही बड़ी हत्या करता है, जितनी बड़ी हत्या वह करता है, जो किसी आदमी को भूखों .मारता है या उसका सत्यानाश कर देता है। सूदखोर हत्या करता है और फिर भी अपनी गद्दी पर सुरक्षित बैठा रहता है, जब कि होना यह चाहिये था कि वह फांसी पर टंगा होता और उसने जितने पैसे चुराये हैं, उतने ही कव्वे उसकी बोटियां नोचते। पर, जाहिर है, यह तभी सम्भव था, जब उसके बदन पर इतना मांस होता कि इतनी बड़ी संख्या में कव्वे अपनी चोंचें उसमें गड़ाकर हिस्सा बंटा सकते। मगर हम लोग तो छोटे चोरों को फांसी पर लटकाने में लगे हुए हैं ... छोटे चोरों को हम काठ में डालकर रखते हैं, पर बड़े चोर सोने और रेशम से लदे हुए पकड़कर चलते हैं ... इसलिये इस पृथ्वी पर इनसान का (शैतान के बाद) सूदखोर या कुसीदी से बड़ा दुश्मन और कोई नहीं है। कारण कि सूदखोर तो सब इनसानों के ऊपर राज करने वाला परमात्मा बनना चाहता है। तुकं, सिपाही और अत्याचारी भी बुरे होते हैं, परन्तु उनके लिये जरूरी होता है कि लोगों को जिन्दा रहने दें, और वे खुद तसलीम कर लेते हैं कि वे बुरे आदमी है, और कभी-कभी तो वे कुछ इनसानों पर रहम भी करते हैं, बल्कि कहना चाहिये कि उनको रहम करना पड़ता है। लेकिन जहां तक सूदखोर और अर्थ-पिशाच का सम्बंध है, यदि उसका बस चले , तो वह सारी दुनिया को भूख और प्यास , गरीबी और प्रभाव से मार डाले, ताकि संसार में जो कुछ है, वह सब उसी का हो जाये और फिर वह परमात्मा की तरह हरेक को भीख बांटा करे और हर आदमी सदा के लिये उसका दास बन जाये। वह बढ़िया लबादे प्रोढ़ना चाहता है, सोने की मालाएं और अंगूठियां पहनना चाहता है, अपना मुंह धोना चाहता है। वह चाहता है कि लोग उसे भला भादमी समझें और धर्मात्मा माने... सूदखोरी भेड़िये के समान एक भयानक राक्षस है, जो हर एक को तबाह कर देता है। ऐसी तबाही तो कोई कैकस , गेरिमोन और ऐण्टस भी नहीं ढा सकता। और फिर भी वह खूब सज-धज कर निकलता है और चाहता है कि लोग उसे बड़ा धर्मात्मा समझें और उनको यह न मालूम होने पाये कि उनके सारे बैल कहां गायब हो गये हैं, और वे यह न जान पायें कि यही राक्षस उनके सारे बैलों को पीछे से पकड़कर अपनी खोह में घसीट ले गया है। लेकिन एक दिन इन बैलों की और इस राक्षस के कैदियों की चीखें हरक्यूलीज को सुनाई देंगी और वह खड़ी चट्टानों और पहाड़ियों में घुसकर कैकस को ढूंढ निकालेगा और इस बदमाश से बैलों को छुड़ाकर एक बार फिर उनको मुक्त करेगा। कारण कि कैकस का मतलब है वह बदमाश , जो सूदखोरी करता है और ऊपर से धर्मात्मा बनता है और जो हर एक के यहां चोरी करता है, डाका डालता है और सब कुछ खा जाता है; और यह कभी तसलीम नहीं करता कि वह सब कुछ खा गया है, बल्कि समझता है कि इस बात का किसी को पता नहीं लग पायेगा, क्योंकि बैलों को पीछे . 3