पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/६७३

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पूंजीवादी उत्पादन । "1 . 11 यानी जब . चलता है कि समान के शुरू के मों में श्रम के प्राचार पूंजीपति के परिवर्जन के बिना ही क्यों और कैसे तैयार हो गये थे। " 'समान जितना विकास करता जाता है, परिवर्तन की मांग उतनी ही बढ़ती जाती है, -यह परिवर्णन उनको करना पड़ता है, जो दूसरों के बम के फलों को हस्तगत करने का मन करते हैं। सम-मिया को सम्पन्न करने के लिये जितनी बातें पावश्यक है, वे सब यकायक पूंजीपति के परिवर्तन के कुत्य बन जाती हैं। यदि अनाज सारा सा नहीं लिया जाता, बल्कि उसका एक भाग बो दिया जाता है, तो यह पूंजीपति का परिवर्जन है। यदि शराब को उठने के लिये रख दिया जाता है, तो यह भी पूंजीपति का परिवर्जन है।' जब कभी पूंजीपति “मजदूर को उत्पादन के प्राचार उचार (I) देता है, कभी वह उत्पादन के प्राचारों का-भाप के इंजनों, कपास, रेल, साप, घोड़ों और दूसरी तमाम चीजों का उपभोग खुद नहीं कर लेता,-या, प्रामाणिक प्रशास्त्रियों की बचकानी भाषा में, बब कभी बह इन तमाम चीजों का "मूल्य" विलास की वस्तुओं तथा उपभोग की चीजों पर वाया नहीं कर देता, बल्कि इसके बजाय उनके साथ मम-पाक्ति का समावेश करके इस भम-पाक्ति से अतिरिक्त मूल्य निकालने के लिये उनका उपयोग करता है, तब हर बार वह खुद अपने घर में गका गलता है।' एक वर्ग के रूम में पूंजीपति यह कमाल कैसे करेंगे, यह एक ऐसा रहस्य है, जिसका उद्घाटन करने के लिये प्रामाणिक प्रशास्त्र भाग तक तैयार नहीं हुआ। उसके लिये बस इतना ही काफी है कि इस प्राधुनिक विष्णु-भक्त-पूंजीपति-के प्रायश्चित और प्रात्म-साड़ना के प्रताप से संसार मान भी किसी तरह हिचकोले साता हुमा चला जा रहा है। न केवल संचय के लिये, बल्कि "महब पूंजी को सुरक्षित रखने के लिये भी उसका उपभोग कर गलने के प्रलोभन से लगातार संघर्ष करना पड़ता है। प्रतएव, . . 1 Senior, उप० पु०, पृ० ३४२ । 'जब तक किसी को अतिरिक्त मूल्य कमाने की प्राशा नहीं होगी, तब तक... वह यह हरगिज नहीं करेगा कि अपनी पैदावार का या उसके सम-मूल्य का तुरन्त उपभोग कर डालने के बजाय, मिसाल के लिये, अपना गेहूं बो डाले और उसे बारह महीने तक जमीन में गड़ा रहने दे, या अपनी शराब को बरसों तक तहखाने में डाले रखे।" (Scrope, "Political Economy" [स्क्रोप, अर्थशास्त्र], A. Potter का संस्करण,New York, 1841, पृ० १३३-१३४।) 8 “La privation que s'impose le capitaliste, en prêtant ses instruments de production au travailleur, au lieu d'en consacrer la valeur à son propre usage, en la transforment en objets d'utilité ou d'agrément." ["quat orang itatari का खुद अपने लिये उपयोग न करके और उनका मूल्य उपयोगी वस्तुओं या विलास की वस्तुओं में न बदलकर पूंजीपति उनको मजदूर को उधार देकर जो कष्ट उठाता है।"] (G. de Molinari, उप.पु०, पृ० ३६1)- यहां "उधार देना" शब्दों का एक मंगल-भाषण के रूप में प्रयोग किया गया है। अप्रामाणिक अर्थशास्त्र की अनुमोदित पद्धति का प्रयोग करते हुए इस मंगल-भाषण के द्वारा उस मजदूर को, जिसका शोषण किया जाता है, प्रायोगिक पूंजीपति के साथ एकाकार कर दिया गया है, जो शोषण करता है और जिसको दूसरे पूंजीपति मुद्रा उधार देते हैं। + "La conservation d'un capital exige... un effort constant pour résister à la tentation de le consommer" (Courcelle-Seneuil, 340 go, go 40) .