पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/७३०

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पूंजीवादी संचय का सामान्य नियम ७२७ ५ तक ३८ प्रतिशत - या १२ प्रतिशत सालाना - की वृद्धि हुई थी। इस मद में सबसे अधिक वृद्धि निम्नलिखित कोटियों में हुई है: १८५३ की अपेक्षा वार्षिक वृद्धि १८६४ में कितनी अधिक वार्षिक माय हुई मकान. . ३.५० प्रतिशत 11 " ७.७० 13 पत्थर की खाने खाने . लोहे के कारखाने मीन-क्षेत्र गैस के कारखाने 11 ३८.६० प्रतिशत ८४.७६ ६८.८५ ३९.९२ ५७.३७ १२६.०२ ८३.२६ 11 " ११.४५ ७.५७ यदि हम १८५३ से १८६४ तक के इस काल के चार-चार वर्षों के तीन चौकड़ों की एक दूसरे के साथ तुलना करें, तो हम पाते हैं कि पाप की वृद्धि की पर लगातार बढ़ती जाती है। मिसाल के लिये, मुनानों से होने वाली प्राय में १८५३ से १८५७ तक हर साल १.७३ प्रतिशत की, १८५७ से १८६१ तक २.७४ प्रतिशत की और १८६१ से १९६४ तक ९.३० प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई। संयुक्तांगल राज्य में माय-कर की मद में पाने वाली कुल माय १८५६ में ३०,७०,६८,८६८ पौड, १८५६ में ३२,१,२७,४१६ पौड, १८६२ में ३५,१७,४५,२४१ पोज, १८६३ में ३५,६१,४२, ८६७ पौण, १८६४ में ३६,२४,६२,२७६ पौड और १८६५ में ३८,५५,३०,०२० पौण पी।' पूंजी के संचय के साथ-साथ उसके संकेनग और केन्द्रीयकरण की मियाएं भी चलती रही थीं। यद्यपि इंगलैड में खेती के कोई सरकारी प्रांकड़े नहीं है (मायरलेस में है), तथापि १० 1 उप० पु०, पृ० ३८। 'ये मांकड़े तुलना करने के लिये तो ठीक है, पर निरपेक्ष दृष्टि से वे झूठे हैं, क्योंकि हर साल शायद १०,००,००,००० पौण्ड की प्राय की सरकार को कोई सूचना नहीं मिलती। अन्तर्देशीय प्राय के कमिश्नर अपनी रिपोर्टों में हर बार सुनियोजित ढंग से राज्य को ठगे जाने की शिकायत करते हैं और यह शिकायत करते है कि व्यापारी तथा प्रौद्योगिक वर्ग तो खास तौर पर ऐसा करते हैं। मिसाल के लिये, एक रिपोर्ट में कहा गया है : “एक सम्मिलित पूंजी वाली कम्पनी ने अपने हिसाब में दिखाया कि उसे ६,००० पौण्ड का ऐसा मुनाफ़ा हुआ है, जिसपर माय-कर लगना चाहिये ; भापरीक्षक ने इस रकम को बढ़ाकर ८८,००० पौण्ड कर दिया, और अन्त में कम्पनी ने इसी रकम के माधार पर कर दिया। एक और कम्पनी ने हिसाब में १,६०,००० पौण्ड का मुनाफ़ा दिखाया था, पर अन्त में उसे यह स्वीकार करना पड़ा था कि असल में यह रकम २,५०,००० पौण्ड होनी चाहिये थी।" (उप० पु०, पृ० ४२।)