पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/७४६

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पूंजीवादी संचय का सामान्य नियम ७४३ ... १४५० व्यक्ति रहते हैं, और उनके लिये कुल ४३५ विस्तर मोर ३६ पाखाने है . हर एक बिस्तर के पीछे-पौर फटे पुराने गाने पीचड़ों या लकड़ी की छीलन का हर भी बिस्तर कहलाता है-३.३ व्यक्तियों का प्रोसत पड़ता है। बहुत से विस्तरों को ५ और ६ व्यक्ति इस्तेमाल करते हैं। और मुझे बताया गया कि कुछ लोगों को किसी तरह का भी बिस्तर मयस्सर नहीं होता। वे अपने रोजमर्रा के कपड़ों को पहने हुए नंगे तख्तों पर सो रहते हैं। युवक और युवतियां, विवाहित और अविवाहित , सब इसी तरह इकट्ठे सोते हैं। कहने की प्रावश्यकता नहीं कि ये कोरिया पंधेरी, सीलन-भरी, गंबी और बदबूदार होती है, वे इनसानों के रहने के लिये हरगिन उपयुक्त नहीं है। बीमारी और मौतें केनों से उन लोगों के बीच फैलती हैं, जिनकी प्रार्षिक स्थिति बेहतर है, पर जिन्होंने इन विषले कीटाणुमों को समाज में पनपने और फैलने की अनुमति दे रखी है।" रहने के घरों की तंगी और गंदगी के मामले में तीसरा नम्बर बिस्टल का है, "उस बिस्टल का, यो योरप का सबसे धनी नगर है, पर जहां भयानकतम परिखता ("blankest poverty") और रिहायशी मकानियत के प्रभाव का बोलबाला है।" (ग) बानाबदोश पावावी . . अब हम एक ऐसे वर्ग पर विचार करना चाहते हैं, जिसका जन्म कृषि में हुमा है, पर जिसका धंधा मुख्यतया उद्योग-प्रधान है। यह वर्ग पूंजी की पैदल सेना है, जिसे वह अपनी पावश्यकता के अनुसार कभी इस बिंदु पर झोंक देती है, तो कभी उस बिंदु पर। जब यह सेना एक बिंदु से दूसरे बिंदु को कूध नहीं करती, तो कहीं पर प्रस्थापी "पड़ाव" गल देती है। खानाबदोश मजदूरों को मकान बनाना, नालियां बनाना, ईटें तैयार करना, चूना फूंकना, रेल की लाइन बिछाना प्रावि अनेक प्रकार के कामों के लिये इस्तेमाल किया जाता है। ये लोग महामारियों के द्रुतगामी बस्ते की तरह होते है, जो जहां भी अपना पड़ाव गलता है, उसी स्थान के पास-पड़ोस में वेचक, टाइफस पर, हवा, स्कारलट ज्वर प्रादि रोग फैला देता है।' जिन उद्यमों में-से रेले प्रादि-बहुत अधिक पूंजी लगानी पड़ती है, उनमें ठेकेदार मजदूरों की अपनी सेना के लिये लकड़ी के झोपड़ों प्रादि का प्रायः खुद ही बन्दोबस्त कर देता है। इस तरह स्थानीय बोरों के नियंत्रण के बाहर और सफाई की किसी भी प्रकार की व्यवस्था से विहीन पूरे गांव के गांव अस्थायी रूप से बड़े हो जाते हैं। ठेकेदार की खूब बन पाती है। वह बोहरे डंग से मजबूर का शोषण करता है एक तो उद्योग के सैनिकों के रूप में दूसरे, किरायेदारों के रूप में। लकड़ी के एक मॉपड़े में १,२ अपवा ३ जाने हैं, इसके अनुसार उसमें रहने वाले को, वह चाहे जुलाई का काम करता हो, चाहे और कोई काम, १ शिलिंग, ३ शिलिंग या ४ शिलिंग प्रति सप्ताह किराया देना पड़ता है। यहां एक उदाहरण काफी होगा। सितम्बर . . उप. पु., पृ० ११४ । 'उप. पु., पृ. ५०॥

    • Public Health, Seventh Report. 1865" ('trofara fra i taraft

रिपोर्ट, १८६५'), पृ०१८ । 'उप. पु., पृ० १६५। .