पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/७७२

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पूंजीवादी संचय का सामान्य नियम ७६१ . . है, इतनी जगह के लिये ३ पौस १०शिलिंग किराया देते हैं। ग्टन में सबसे सस्ता घर बाहर से १५ फुट लम्बा और १० फुट चौड़ा है और ३ पौग सालाना पर उन हमा है। जितने घरों की जांच की गयी, उनमें से केवल एक में सोने के २ कमरे। गांव के कुछ बाहर एक घर है, जिसमें रहने वाले लोग घर की दीवार के पास ही पाखाना फिरने बैठ जाते हैं"। इस घर के बरवाने का नीचे का हिस्सा च की ऊंचाई तक एकदम सहकर खतम हो गया है। रात के समय इस पूराज को बड़ी होशियारी के साथ कुछ ईटें घटाई से इंककर बन्द कर दिया जाता है। भाषी खिड़की, शीशे पोर पोलटे समेत, प्रत्येक नश्वर बस्तु की भांति काल का प्रास बन गयी है। बिना किसी फर्नीचर के इस घर में ३ बयस्क और ५ बच्चे भरे हुए हैं। और विगलेसर यूनियन के बाकी हिस्सों के मुकाबले में राष्टन की हालत कोई खास खराब नहीं है। (२) बर्कशायर गया, . बीनहम। बून १८६४ की बात है कि एक पुरुष, उसकी पत्नी और बच्चे एक cot (एकमखिले घर) में रहते थे। बेटी नौकरी से लौटी, तो स्कार्लट वर साब ले भायी। वह मर गयी। एक बच्चा बीमार हो गया, और वह भी चल बसा। जिस समय गहन्टर को बुलाया उस समय मां और एक बच्चा टाइफस बर में पड़े हुए थे। बाप और एक बच्चा घर के बाहर सोते थे, लेकिन बीमारों को बाकी लोगों से अलग करने की कठिनाई यहां भी विलाईपी, क्योंकि ज्वर-प्रस्त परिवार के घरेलू कपड़े इस गरीब गांव के मीर-भरे बाजार में बुलाई के लिये पड़े हुए थे। “एच०" के घर का किराया १ शिलिंग प्रति सप्ताह है। सोने का एक कमरा है, जिसमें मियां, बीवी और ६ बच्चे रहते हैं। एक घर ८ पेन्स प्रति सप्ताह पर उठा हमा है। यह १४ फूट ६ इंच लम्बा और ७ फुट चौड़ा है। रसोई ६ फुट ऊंची है। सोने के कमरे में न तो लिड़की है, न अंगीठी है, न ही कोई बरवाला या किसी और तरह का छेद है। हो, पालान में बकर एक रास्ता जुलता है। बगीचा भी नहीं है। इस घर में कुछ समय तक एक पुरुष अपनी रो वयस्क बेटियों और एक बयस्क बेटे के साथ रहता था। बाप और बेटा बिस्तर पर सोते थे, लड़कियां रास्ते में। इस घर में रहते हुए दोनों लड़कियों के एक-एक बच्चाहुमा, लेकिन एक लड़की प्रसव के लिये. मुहताजखाने गयी थी और उसके बाद घर लौट पायी थी। (३) बकिंघमशायर १,००० एकड़ भूमि पर ३० घर है, जिनमें लगभग १३० - १४० व्यक्ति रहते हैं। बडेनहम नामक गांव का रकबा १,००० एकड़ है। १८५१ में उसपर ३६ घर बने हुए थे, जिनमें ४ पुरुष और ५४ स्त्रियां रहती थीं। स्त्रियों और पुरुषों की संख्या का यह अन्तर कुछ हद तक १८६१ में पूरहो गया, जबकि पुरुषों की तादाद और स्त्रियों की ८७ हो गयी। पानी १० साल में पुरुषों में १४ और स्त्रियों में ३३ की वृद्धि हो गयी। इस बीच मकानों की तादाद में एक की कमी हो गयी। विस्तो। इस गांव का अधिकतर भाग गया और पच्छे ढंग से बना हुआ है। घरों की मांग बहुत प्यावा मालूम होती है, क्योंकि बहुत ही पराब किस्म के एकमविले घरों का किराया भी १शिलिंग से १ शिलिंग । पेन्स तक प्रति सप्ताह है। 4946