पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/७९७

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७६४ पूंजीवादी उत्पादन . . . बच्ची दिन भर छोटे बच्चों को संभालती है। और हम लोग सुबह का नाश्ता ८ बजे करते हैं। ८ बजे हम घर चले पाते हैं। सप्ताह में एक बार हमें चाय मिल जाती है। बाक़ी रोज हम लपसी (stirabout) लाते हैं, कभी बई के पाटे की, कभी मक्का के पाटे की,-जब जो चीज मिल बाये। जागे में हम मक्का के पाटे की अपनी लपसी में पोड़ी शक्कर और पानी मिला लेते हैं। गरमियों में हमें कुछ मालू मिल जाते हैं, जो हमने समीन के एक छोटे से दुकड़े में पुर लगा रखे हैं। जब मालू खतम हो जाते हैं, तो हम फिर लपसी साना शुरू कर देते हैं। कभी- कभी सम्भव हुमा, तो थोड़ा सा पूष मिल जाता है। चाहे रविवार हो, चाहे कोई और दिन हो, बारहों महीनों हमारे जीवन का काम इसी तरह चलता रहता है। मैं रात को जब काम खत्म करके घर लौटता हूं, तो हमेशा बहुत थक जाता हूं। कभी-कभार हमें खरा से मांस के भी दर्शन हो जाते हैं, लेकिन ऐसा बिन बड़ा दुर्लभ होता है। हमारे तीन बच्चे स्कूल जाते हैं, जिनकी क्रीस हमें हर सप्ताह १ पेनी प्रति बच्चा देनी पड़ती है। मकान का किराया १ पेन्स प्रति सप्ताह है। भाग जलाने के लिये पीट पर बहुत कम करने पर भी दो हफ्ते में शिलिंग ६ पेन्स तो सर्च हो ही जाते हैं। ऐसी है पापरलंग के मजदूरों की मजदूरी और ऐसा है उनका जीवन ! असल में, पानकल पायरलज की गरीबी एक बार फिर इंगलैंड में लोगों की पर्चा का विषय बन गयी है। १८६६ के अन्त में और १८६७ के प्रारम्भ में प्रायरलेस के एक बड़े भूस्वामी, लाई उरिन ने "The Times" में इस समस्या का एक हल सुमाने का प्रयत्न किया था। "Wle menschlich von solch grossem Herrnl" ("इतने बड़े भावमी ने कितनी उदारता विलायी है!") तालिका (ब) में हमने देखा था कि १८६४ में ४३,६८,६१० पौण के कुल मुनाफे में से अतिरिक्त मूल्य बनाने वाले केवल तीन व्यक्तियों को २,६२,६२० पौण मिले थे, लेकिन १८६५ में ४६,६६,६९ पौण के कुल मुनाफे में से "परिवर्जन" की कला के ये ही तीन महान भाचार्य २,७४ पौण मार ले गये; १८६४ में अतिरिक्त मूल्य कमाने वाले २६ व्यक्तियों ने ६,४६,३७७ पौड कमाये थे, १५६५ में २८ ने ७,३६,४ पौण्ड कमाये; १८६४ में अतिरिक्त मूल्य कमाने वाले १२१ व्यक्तियों ने १०,६६,९१२ पौड कमाये थे, १८६५ में १८६ ने १३,२०,६९६ पौण कमाये ; १८६४ में अतिरिक्त मूल्य कमाने वाले १,१३१ व्यक्तियों ने २१,५०,८१८ पाप कमाये थे, बो साल भर के मुनाफों की कुल रकम का लगभग भाषा होते थे; १८६५ में अतिरिक्त मूल्य कमाने वाले १,१९४ व्यक्तियों ने २४,१८,९३३ पौण कमाये, दो साल भर के मुनानों की कुल राम का पाये से ज्यादा होते थे। लेकिन इंगलब, स्कोटनेस और भायरलेस के मट्ठी भर बाबा भू-स्वामी वार्षिक राष्ट्रीय प्राय का इतना बड़ा भाग निगल जाते हैं कि दूरदर्शी अंग्रेजी राज्य यह ठीक नहीं समझता कि लगान की प्राय के वितरण के बारे में भी उसी प्रकार के प्रांकड़े प्रकाशित किये जायें, जिस प्रकार के मांकड़े मुनाकों के वितरण के बारे में प्रकाशित किये जाते हैं। इन बड़े भूस्वामियों में से एक लाई फरिन भी है। लगान की बर या मुनाफ़े भी कमी "बहुत ऊँचे" हो सकते हैं या उनके प्राषिक्य का जनता की गरीबी के माविषय से कोई संबंध हो सकता है, यह एक ऐसा विचार है, जो गलत" ("disreputable) है, उतना ही "मुल्यात" ("ursound") भी है। . - " 1 "Rept. of Insp. of Fact., 31st Oct., 1866" ('frefut it med fute, ३१ अक्तूबर १८६६'), पृ. १६ ।