पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/८५०

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प्रौद्योगिक पूंजीपति की उत्पत्ति ८४७ . . . कि इंगलैग के बैंक की नींव पड़ी। इंगलम के बैंक ने सरकार को ८ प्रतिशत ब्याज पर मुद्रा उधार देकर श्रीगणेश किया। साथ ही उसको संसद ने इसी पूंजी को बैंक नोटों की शकल में फिर से जनता को उधार देकर मुद्रा डालने की इजाजत दे दी। उसको इन नोटों के द्वारा हंडिया भुनाने , मालों के दाम पेशगी देने और बहुमूल्य धातुएं खरीदने की भी इजाजत मिल गयी। बहुत समय नहीं बीता कि इस प्रत्यय मुद्रा ने ही, जिसे जुद इस बैंक ने बनाया था, उस माध्यम का रूप धारण कर लिया, जिसके द्वारा इंगलग का बैंक राज्य को मुद्रा उपार देता था और राज्य की मोर से सरकारी ऋण का ब्याज प्रदा करता था। इतना भी काफी नहीं था कि बैंक एक हाथ से जितना देता था, उससे अधिक दूसरे हाथ से ले लेता था। इस तरह बराबर लेते रहने के बावजूद वह सदा राष्ट्र का शाश्वत लेनदार बना रहता था और राज्य को दी हुई उसकी एक-एक पाई राष्ट्र के मत्थे चढ़ी रहती थी। धीरे-धीरे वह अनिवार्य रूप से देश के सारे सोने-चांदी का भाण्डार-गृह और समस्त व्यापारिक प्रत्यय का पाकर्षण केन्द्र बन गया। बैंक पतियों, वित्त-प्रबंधकों, सरकारी बौडों के व्याज के सहारे मना मारने वालों, बलालों, शेयर बाजार के सट्टेबाजों प्रादि के इस पूरे रेवड़ का यकायक जन्म हो जाने का उनके समकालीन लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा था, यह उस काल की रचनामों से- उदाहरण के लिये, बोलिंगबुक की रचनाओं से स्पष्ट हो जाता है।' राष्ट्रीय ऋण की प्रणाली के साथ-साथ उधार की एक अन्तर्राष्ट्रीय प्रणाली का भी जन्म हुमा। इस प्रणाली के पीछे अक्सर किसी न किसी क्रोम के प्राविम संचय का एक बोत छिपा रहता है। चुनाचे, वेनिस में चोरी की जिस पद्धति का विकास हुमा था, उसके नीच हत्य हालेज के पूंजीगत धन का एक गुप्त खोत , पयोंकि वेनिस अपने पतन के काल में हालैड को बड़ी-बड़ी रकम उधार दिया करता था। हालैड पोर इंगलैड के बीच भी कुछ इसी तरह के सम्बंध थे। १८ वीं शताब्दी के प्रारम्भ होते-होते सच उद्योग-धंधे प्रगति की बौड़ में बहुत पीछे पड़ गये थे। वाणिज्य तथा उद्योग के क्षेत्र में हालेज प्रब सबसे प्रधान राष्ट्र नहीं रह गया था। इसलिये १७०१ से १७७६ तक उसका एक मुख्य व्यवसाय विशेष कर यह पा कि वह अपने महान प्रतिवंडी, इंगलेश को पूंजी की बड़ी-बड़ी रकमें उपार दिया करता था। पानकल इंगलैड और संयुक्त राज्य अमरीका के बीच भी ऐसा ही सिलसिला चल रहा है। पाज बो पूंजी बिना किसी जन्म-प्रमाण-पत्र के संयुक्त राज्य अमरीका में प्रकट होती है, वह कल तक इंगलैग में अंग्रेज बच्चों के पूंजीकृत रक्त के रूप में निवास करती थी। राष्ट्रीय हग का भावारस्तम्भ होती है सार्वजनिक माय। म्याज मादि के रूप में हर साल को भुगतान करने पड़ते हैं, इसी माय में से किये जाते हैं। इसलिये माधुनिक कर. प्रणाली राष्ट्रीय ऋण-प्रणाली की पावश्यक पूरक है। हम लेकर सरकार प्रसाधारण उंग की मों का पर्चा पूरा कर सकती है, जिसका बोझा करवातामों को तत्काल अनुभव नहीं होता; लेकिन उसके फलस्वरूप करों में वृद्धि करना प्रावश्यक हो पाता है। दूसरी मोर, एक के बाद . . . 1 "Si les Tartares inondaient l'Europe aujourd'hui, il faudrait bien des affaires pour leur faire entendre ce que c'est qu'un financier parmi nous" ["यदि तातारी लोग भाषकल योरप पर हमला करें, तो उन्हें यह समझाना बहुत ही कठिन होगा कि जिसे हम वित्त-प्रबंधक कहते हैं, वह क्या बला होता है"]। (Montesquieu, "Esprit des lots", अंब ४, पृ. ३३, Londres का संस्करण, 17691)