पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१०१

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१०. पूंजी के रूपांतरण और उनके परिपथ वस्तुतः यह बात पूंजी के प्रत्येक गतिगील अंश के बारे में सही है और पूंजी के सभी ग्रंश एक-एक करके इस गति से गुजले हैं। मान लीजिये, १०,००० पाउंड नूत किती कातनेवाले का माताहिक उत्पाद है। यह १०,००० पाउंद भूत उत्पादन क्षेत्र से पूरी तरह निकल पाता है और परिचलन क्षेत्र में प्रवेश कर जाता है। उसमें समाहित पुंजी मूल्य को पूर्णतः द्रव्य पूंजी में पांतरित होना होगा, और जब तक यह मुल्य द्रव्य पूंजी के रूप में बना रहता है, तब तक वह नये मिरे में उत्पादन प्रक्रिया में प्रवेश नहीं कर सकता। उसे पहले परिचलन में प्रवेश करना होगा और उत्पादक पंजी के तत्वों में, श्र+उ सा में , पुनःपरिवर्तित होना होगा। पूंजी की परिपय निर्माण प्रक्रिया का अर्थ है लगातार अंतरायण , एक मंज़िल का त्याग और अगली मंजिल में प्रवेश , एक कप का उतारा और दूसरे का अपनाया जाना। इनमें से प्रत्येक मंजिल अगली मंजिल को पूर्वकल्पित ही नहीं करती है, वरन उसे अलग भी करती है। किंतु निन्तरता पूंजीवादी उत्पादन की लाक्षणिकता है, जिसकी अनिवार्यता उसके प्राविधिक अाधार से उत्पन्न होती है, यद्यपि वह सदैव निरपेक्षतः प्राप्य नहीं होती। इसलिए हमें यह देखना चाहिए कि हकीकत में होता क्या है। उदाहरण के लिए, जब तक १०,००० पाउंड सूत माल पूंजी की हैसियत से बाजार में आता है और द्रव्य में रूपांतरित होता है ( वह चाहे भुगतान का माध्यम है या खरीदारी का अथवा केवल लेखा द्रव्य है ), तब तक नई कपास , कोयला , वगैरह उत्पादन प्रक्रिया में मूत की जगह ले लेते हैं। अतः वे द्रव्य रूप और माल रूप ने उत्पादक पूंजी में पहले ही पुनःपरिवर्तित हो चुके होते हैं और इसी तरह से काम करना भी शुरू कर देते हैं। जिस समय यह १०,००० पाउंड सूत द्रव्य में रूपांतरित हो रहा है , उसी समय पहलेवाला १०,००० पाउंड मूत अपने परिचलन की दूसरी मंजिल से गुजर रहा है और द्रव्य से उत्पादक पूंजी के तत्वों में पुनःपरिवर्तित हो रहा है। पूंजी के सभी अंश क्रमशः परिपथ से गुजरते हैं, एक ही समय उसकी विभिन्न मंजिलों में होते हैं। इस प्रकार अपनी कक्षा में निरंतर चलती प्रौद्योगिक पूंजी साथ-साथ अपनी सारी मंजिलों में और उनके अनुरूप विभिन्न कार्य रूपों में भी विद्यमान रहती है। प्रौद्योगिक पूंजी का वह भाग, जो माल पूंजी से द्रव्य में पहली बार परिवर्तित होता है, मा'...मा' का परिपथ शुरू करता है, जब कि गतिशील समग्रता के रूप में प्रौद्योगिक पूंजी उन परिपथ को पहले ही पार कर चुकी होती है। एक हाय द्रव्य देता है, दूसरा उसे ग्रहण कर लेता है। एक स्थान पर द्र . द्र' परिपथ का समारंभ दूसरे स्थान पर द्रव्य के प्रत्यावर्तन के समान होता है। यही वात उत्पादक पूंजी के बारे में भी सही है। अतः अपनी निरंतरता में प्रोद्योगिक पूंजी का वास्तविक परिपथ परिचलन और उत्पादन प्रनिन्यानों की एकान्विति ही नहीं, वरन उसके सभी तीनों परिपथों की एकान्विति भी है। किंतु वह ऐनी एकान्विति तभी हो सकता है कि जब पूंजी के सभी विभिन्न अंश परिपय की क्रमिक मंजिलों से गुजर सकें, एक दौर से, एक कार्यशील रूप से दूसरे में पहुंच सकें, जिससे कि प्रौद्योगिक पूंजी, जो इन सभी अंगों का साकल्य है, अपने विभिन्न दौरों और कार्यों में एक ही ममय विद्यमान रहे और इस प्रकार एक ही समय तीनों परिपथ संपन्न करे। इन ग्रंणों का अनुनमन (das .Nacheinander) यहां उनके सहयस्तित्व (das Nebeneinander) अर्यात पंजी के विभाजन द्वारा निर्धारित होता है। बहुशानी कारखाना प्रणाली में उपादित होनेवाली चीज अपनी निर्माण प्रक्रियाओं की विभिन्न मंजिलों में लगातार विद्यमान रहती . द्वारा,