पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१०६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

परिपथ के तीन सूत्र १०५ 3 . प्रस्तुत करते हैं, जिस हद तक उ और मा' की गति साथ ही संचय भी होता है, अतः जिस हद तक द्रव्य , अतिरिक्त द्र, द्रव्य पूंजी में परिवर्तित होता है। इसके अलावा उत्पादक पूंजी के तत्वों के मूल्य में परिवर्तन से वे द्र द्र' की अपेक्षा भिन्न रूप में प्रभावित होते हैं। यहां भी मूल्य में ऐसे परिवर्तनों का जो प्रभाव उत्पादन प्रक्रिया में लगे हुए पूंजी के संघटक अंशों पर पड़ता है, उस पर हम ध्यान नहीं देते। यहां सीधे मूल व्यय प्रभावित नहीं होता, वरन वह प्रौद्योगिक पूंजी प्रभावित होती है, जो अपनी पुनरुत्पादन प्रक्रिया में लगी हुई है और श्र अपने प्रथम परिपथ में नहीं है; अर्थात मा'... मा< माल पूंजी का अपने उसा, उत्पादन तत्वों में - जहां तक कि वे माल से संरचित हैं -पुनःपरिवर्तन प्रभावित होता है। जव मूल्यों (अथवा कीमतों) में गिरावट आती है, तव तीन स्थितियां संभव हैं : पुनरुत्पादन प्रक्रिया उसी पैमाने पर चालू रहे ; वैसा होने पर अब तक विद्यमान द्रव्य पूंजी का एक भाग मुक्त हो जाता है और द्रव्य पूंजी संचित होती है, यद्यपि पहले कोई वास्तविक संचय ( विस्तारित पैमाने पर उत्पादन ) अथवा वे (वेशी मूल्य ) का ऐसे संचय का समारंभ करने और उसके साथ-साथ चलनेवाली संचय निधि में रूपांतरण नहीं हुआ है। अथवा पुनरुत्पादन प्रक्रिया , सामान्यतः जो पैमाना होता , उसकी अपेक्षा अधिक विस्तृत पैमाने पर संपन्न की जाती है, वशर्ते कि प्राविधिक अनुपात ऐसा होने दें। अथवा , अंत में , कच्चे माल , आदि का अधिक बड़ा भंडार रह जाता है। माल पूंजी के प्रतिस्थापन तत्वों का मूल्य यदि बढ़ जाये , तो इसका उलटा होता है। उस हालत में पुनरुत्पादन अपने सामान्य पैमाने के अनुसार होना बंद कर देता है ( उदाहरण के लिए, श्रम दिवस छोटा हो जाता है); अथवा काम का पुराना परिमाण बनाये रखने के लिए अतिरिक्त द्रव्य पूंजी उपयोग में लानी होती है (द्रव्य पूंजी बंध जाती है); अथवा संचय के लिए यदि द्रव्य निधि हो, तो पुनरुत्पादन प्रक्रिया का विस्तार करने के बजाय उसे पुराने पैमाने पर चालू रखने के लिए पूर्णतः अथवा अंशतः उपयोग में लाया जाता है। यह भी द्रव्य पूंजी को बांधना है, सिवा इसके कि अतिरिक्त द्रव्य पूंजी वाहर से , द्रव्य बाजार से नहीं आती, वरन स्वयं प्रौद्योगिक पूंजीपति के साधनों से आती है। फिर भी उ ...उ और मा मा' में रूपांतरकारी परिस्थितियां हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि हमारे कताई मिल मालिक के पास कपास का बड़ा भंडार ( उसकी उत्पादक पूंजी का एक बड़ा परिमाण कपास भंडार के रूप में ) हो, तो कपास की कीमत गिरने से उसकी उत्पादक पूंजी के एक भाग का मूल्य ह्रास होता है; किंतु इसके विपरीत , यदि यह कीमत चढ़ जाये, तो उसकी उत्पादक पूंजी के इस भाग की मूल्य वृद्धि हो जाती है। दूसरी ओर, यदि उसने माल पूंजी के रूप में, मसलन सूती धागे की बड़ी राशि वांध ली है, तो कपास का भाव गिरने या चढ़ने से उसकी माल पूंजी के एक भाग और इसलिए सामान्यतः उसकी परिपथ निर्मात्री पूंजी का मूल्य ह्रास होगा अथवा उसकी मूल्य वृद्धि होगी। अंत में मा'-द्र-मा <. प्रक्रिया ले लीजिये । यदि मा के तत्वों के मूल्य में परिवर्तन होने से पहले माल पूंजी का सिद्धिकरण मा' द्र हो जाये, तो पूंजी केवल पहली स्थिति में वर्णित ढंग से ही प्रभावित होगी, अर्थात परिचलन की दूसरी क्रिया, द्र-मा<. , श्र उसा . श्र में ; किंतु उसा