पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१११

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११० पूंजी के रूपांतरण और उनके परिपथ . . वैयक्तिक पूंजियों के रूपांतरणों का अंतर्ग्रयन व्यक्त कर सकता है। उदाहरण के लिए, कताई मिल मालिक की माल पूंजी, भूत , अंशतः कोयला प्रतिस्थापित करती है। उसकी पूंजी या एक भाग द्रव्य रूप में विद्यमान रहता है और मालों के रूप में परिवर्तित होता है। उघर कोयले के पूंजीवादी उत्पादक की पूंजी माल रूप में होती है और इसलिए वह द्रव्य रूप में बदलती है। परिचलन की एक ही क्रिया इस प्रसंग में दो प्रोद्योगिक पंजियों ( उत्पादन की भिन्न शाखाओं में) के विरोधी रूपांतरण और इस प्रकार इन पूंजियों के रूपांतरणों को शृंबलानों का अंतर्ग्रथन व्यक्त करती है। किंतु , जैसा कि हम देख चुके हैं , जिस उ सा में द्र परिवर्तित होता है, उसके लिए संवर्गात्मक अर्थ में माल पूंजी होना आवश्यक नहीं है, अर्थात उसके लिए प्रौद्योगिक पूंजी का कार्य रूप होना , किसी पूंजीपति द्वारा उत्पादित होना आवश्यक नहीं है। वह एक अोर सदैव द्र-मा होता है , और दूसरी ओर मा-द्र, किंतु पूंजियों के रूपांतरणों का अंतर्ग्रथन सदा नहीं होता। इसके अलावा श्रम शक्ति की ग़रीद द्र-श्र, पूंजियों के रूपांतरणों का अंतर्ग्रथन कभी नहीं होती, क्योंकि यद्यपि श्रम शक्ति श्रमिक का माल होता है, फिर भी जब तक वह पूंजीपति को वेची न जाये, तब तक वह पूंजी नहीं बनती। दूसरी पोर , मा'-द्र' की प्रक्रिया में यह प्रावश्यक नहीं है कि द्र' परिवर्तित माल पूंजी व्यक्त करे ; वह द्रव्य रूप में श्रम शक्ति माल ( मजदूरी) का अथवा किसी स्वतंत्र श्रमिक , दास , भूदास , अथवा समुदाय की उत्पाद का सिद्धिकरण हो सकता है। लेकिन दूसरी बात यह है कि किसी वैयक्तिक पूंजी की परिचलन प्रक्रिया के भीतर होने- वाले प्रत्येक रूपांतरण द्वारा कार्यतः निर्धारित भूमिका के निप्पादन के लिए यह बिल्कुल अावश्यक नहीं है कि यह रूपांतरण दूसरी पूंजी के परिपथ होनेवाले अनुरूप विरोधी रूपांतरण को व्यक्त करे, वशर्ते कि हम मान लें कि विश्व बाजार का सारा उत्पादन पूंजीवादी ढंग से चलाया जा रहा है। उदाहरण के लिए, उ उ परिपथ में, जो द्र' मा' को द्रव्य में परिवर्तित करता है, वह ग्राहक के लिए द्रव्य रूप में उसके वेशी मूल्य का सिद्धिकरण मात्र हो सकता है ( यदि माल उपभोग की चीज़ हो); अथवा द्र'-मा' < (अतः जहां पहले ही संचित पूंजी प्रवेश करती है ) में, जहां तक उ सा के विग्रेता का संबंध है, द्र' उसकी पूंजी के परिचलन में प्रवेश करके उसकी पेशगी पूंजी को प्रतिस्थापित कर सकता है, अथवा यह भी हो सकता है कि संचालन व्यय में बदल दिये जाने से वह उसमें पुनः प्रवेण करे ही नहीं। इसलिए समग्र सामाजिक पूंजी के विभिन्न संघटक अंश , वैयक्तिक पूंजियां जिसका स्वतंत्र रूप से कार्यशील घटक मात्र हैं, परिचलन प्रक्रिया में - पूंजी के तथा वेणी मूल्य के संदर्भ में भी-किस प्रकार एक दूसरे को प्रतिस्थापित करते हैं, इसका निश्चय मालों के परिचलन के भीतर रूपांतरणों के सादे अंतर्ग्रथनों से , जो मालों के अन्य समस्त परिचलन की ही भांति पूंजी परिचलन की क्रियाओं में भी होते हैं, नहीं किया जाता। इसके लिए, अन्वेपण का दूसरा तरीका अावश्यक होता है। अभी तक ऐसे शब्दों में बातें कहकर सन्तोप किया जाता रहा है, बारीकी से देखने पर जिनमें समस्त माल परिचलन के लिए सामान्य रूपांतरणों के अंतग्रंथन में लिये अनिश्चित विचारों के अलावा कुछ नहीं मिलता है। उ सा