पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/११७

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११६ अध्याय ५ परिचलन काल हम देख चुके हैं कि उत्पादन क्षेत्र में और परिचलन क्षेत्र की दो अवस्थानों में पूंजी की गति कालावधियों की शृंखला में होती है। उत्पादन क्षेत्र में उसके ठहराव की अवधि उसका उत्पादन काल और परिचलन क्षेत्र में बने रहने की अवधि उसका परिचलन काल होती है। अतः अपना परिपय पूरा करने की उसकी कुल अवधि उसके उत्पादन काल तथा उसके परिचलन काल का योग होती है। उत्पादन काल में स्वाभाविकतया श्रम प्रक्रिया की अवधि समाविष्ट होती है, किंतु वह उसमें स्वयं समाविष्ट नहीं होता। सबसे पहले यह स्मरणीय है कि स्थिर पूंजी का एक भाग श्रम के उपकरणों, जैसे मशीनों, इमारतों, आदि के रूप में विद्यमान रहता है। ये उपकरण उन्हीं, लगातार दोहराई जानेवाली श्रम प्रक्रियाओं के काम आते हैं, जब तक कि वे छीज नहीं जाते। श्रम प्रक्रिया में प्रानेवाले ग्रावधिक व्यवधान , उदाहरण के लिए, रात्रि , श्रम के इन उपकरणों की कार्यशीलता विच्छिन्न करते रहते हैं, किंतु उत्पादन स्थल पर उनके बने रहने में बाधा नहीं डालते। वे जब कार्यरत होते हैं , तब , और जव कार्यरत नहीं , तब भी इसी स्थान के होते हैं। दूसरी ओर , पूंजीपति के पास कच्चे माल तथा सहायक सामग्री की एक निश्चित पूर्ति का तयार रहना अावश्यक है, जिससे कि उत्पादन प्रक्रिया कम या अधिक समय तक बाजार में दैनिक पूर्ति की प्राकस्मिकताओं पर निर्भर रहे विना पूर्वनिर्धारित पैमाने पर होती रहे। कच्चे माल , आदि की यह पूर्ति उत्पादक ढंग से क्रमशः ही उपभुक्त होती है। अतः उसके उत्पादन काल में और उसकी कार्यशीलता की अवधि में अंतर होता है। इसलिए सामान्यतः उत्पादन साधनों के उत्पादन काल में ये तत्व होते हैं : १) वह समय , जिसके दौरान वे उत्पादन साधनों की तरह कार्य करते हैं और इसलिए उत्पादन प्रक्रिया में काम करते हैं; २) वे व्यवधान , जब उत्पादन प्रक्रिया विच्छिन्न हो जाती है और इस प्रकार उस प्रक्रिया में निहित उत्पादन साधनों की कार्यशीलता भी विच्छिन्न हो जाती है ; ३) यह समय , जिसके दौरान वे इस प्रक्रिया की पूर्वावश्यकताओं के रूप में तैयार रखे जाते हैं, अतः वे उत्पादक पूंजी वन चुके होते हैं, किंतु उत्पादन प्रक्रिया में अभी प्रविष्ट नहीं हुए होते हैं। 8 पाण्डुलिपि ४ का प्रारंभ। - फे० एं० उत्पादन काल का प्रयोग यहां सक्रिय अयं में है : इस प्रसंग में उत्पादन साधनों का उत्पादन काल उनके उत्पादन के लिए आवश्यक समय नहीं, वरन वह समय प्रकट करता है , जिनके दौरान किसी माल की उत्पादन प्रक्रिया में वे भाग लेते हैं। - फे० एं० . 9