पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/१३८

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परिचलन की लागत १३७ वास्तविक निर्माता का प्रतिनिधि मात्र है। उसे अपना उत्पाद द्रव्य में बदलना होता है। उत्पाद के माल रूप में स्थिरीकरण के कारण वह जो कुछ ख़र्च करता है, वह उसकी व्यक्तिगत अटकलवाजियों का हिस्सा है, जिससे मालों के ग्राहक को कोई सरोकार नहीं। वह उसे मालों के परिचलन में लगनेवाले समय के लिए पैसे नहीं देता। मूल्यों की वास्तविक अथवा अपेक्षित उथल-पुथल के समय भी, जव पूंजीपति जानबूझकर अपना माल वाज़ार के बाहर रखता है , तब भी यह मूल्यों की इस उथल-पुथल के होने पर यह उसकी अटकलों की यथातथ्यता अथवा अयथातथ्यता पर निर्भर करता है कि वह अपनी अतिरिक्त लागत वसूल कर पायेगा या नहीं। किन्तु मूल्यों में उथल-पुथल उसकी अतिरिक्त लागत के परिणामस्वरूप नहीं उत्पन्न होती है। अतः जहां तक पूर्ति निर्माण में परिचलन का गतिरोधन सन्निहित होता है, इस कारण होनेवाले व्यय से मालों के मूल्य में वृद्धि नहीं होती। दूसरी ओर परिचलन क्षेत्र में ठहराव के विना, पूंजी के अपने माल रूप में न्यूनाधिक समय के लिए ठहरे विना पूर्ति नहीं हो सकती, इसलिए जैसे द्रव्य निधि के निर्माण के विना द्रव्य परिचलन नहीं हो सकता , वैसे ही परिचलन के गतिरोधन के बिना पूर्ति नहीं हो सकती। अतएव माल पूर्ति के विना माल परिचलन भी सम्भव नहीं है। यदि मा' द्र' के दौरान पूंजीपति के सामने यह ज़रूरत पेश न हो, तो वह उसके सामने द्र – मा के दौरान पायेगी ; यदि उसकी अपनी माल पूंजी के सिलसिले में नहीं, तो दूसरे पूंजीपतियों की माल पूंजी के सिलसिले में, जो उसके लिए उत्पादन साधन और उसके श्रमिकों के लिए निर्वाह साधन उत्पन्न करते हैं। ऐसा लगता है कि यह तथ्य इस मामले पर कोई तात्विक प्रभाव नहीं डाल सकता कि पूर्ति निर्माण इच्छित है या अनिच्छित , दूसरे शब्दों में माल उत्पादक जानबूझकर पूर्ति रखता है या उसके उत्पाद स्वयं परिचलन प्रक्रिया की परिस्थितियों से विक्री में पैदा होनेवाली रुकावट के कारण पूर्ति बन जाते हैं। किन्तु इस समस्या के समाधान के लिए यह जानना उपयोगी होगा कि इच्छित और अनिच्छित पूर्ति निर्माण में भेद क्या है। अनिच्छित पूर्ति निर्माण परिचलन के ऐसे गतिरोध से उत्पन्न होता है या उसका समरूप होता है, जो माल उत्पादक की जान- कारी से स्वतंत्र होता है और उसकी इच्छा के आड़े आता है। और इच्छित पूर्ति निर्माण का लक्षण क्या है ? दोनों ही स्थितियों विक्रेता अपने माल से जल्दी से जल्दी छुटकारा पाना चाहता है। वह सदैव अपना उत्पाद माल की हैसियत से विक्री के लिए पेश करता है। यदि वह उसे विक्री से खींच ले, तो वह माल पूर्ति का केवल संभाव्य (6vvduet) तत्व होगी, वास्तविक (Evepreig) तत्व नहीं। उसके लिए माल स्वयं हमेशा जैसा ही विनिमय मूल्य का निधान है और इस हैसियत से वह अपना माल रूप तजने और द्रव्य रूप धारण करने पर और इसके फलस्वरूप ही क्रियाशील हो सकता है। किसी दी हुई अवधि में मांग की तुष्टि करने के लिए माल पूर्ति का एक निश्चित परि- माण का होना आवश्यक है। ग्राहक समुदाय के निरन्तर बढ़ने पर निर्भर किया जाता है। मसलन , एक दिन बने रहने के लिए यह जरूरी है कि वाज़ार में मालों का एक हिस्सा निरन्तर माल रूप में रहे, जब कि शेष भाग प्रवाहमान रहता और द्रव्य में परिवर्तित हो जाता है। यह सही है कि जब शेप भाग प्रवाहमान होता है, तव गतिरुद्ध भाग बरावर घटता जाता है, जैसे सारी पूर्ति जब तक विक न जाये, तब तक स्वयं उसका आकार घटता जाता है। इस प्रकार मालों की यह गतिहीनता उनकी विक्री की ज़रूरी शर्त मानी जाती है। इसके अलावा 2